NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कथित लव जिहाद को रोकने के लिए बनाये गये कानून को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर तुरंत रोक लगाने से इनकार कर दिया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट यूपी और उत्तराखंड में अंतरधार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण रोकने के लिए लाये गये इस कानूनों की समीक्षा करेगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर उनसे अपना पक्ष रखने को कहा है.
Supreme Court issues notice to Uttar Pradesh and Uttarakhand after hearing a petition challenging the laws brought by the two state governments to check unlawful religious conversions pic.twitter.com/AJRhqNFOjO
— ANI (@ANI) January 6, 2021
इसे भी पढ़ें : राउरकेला इस्पात संयंत्र से जहरीली गैस रिसी, 4 मजदूरों की मौत
इस कानून से संबंधित मामले इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेंडिंग हैं
सीजेआई एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के क्रम में राज्य सरकारों से जवाब दाखिल करने को कहा. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई को बताया कि इससे संबंधित मामले इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेंडिंग हैं उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वे हाई कोर्ट क्यों नहीं गये. याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह का जवाब था कि अन्य राज्यों ने भी इसी तरह के कानून बनाये हैं.
इसे भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों पर अब 11 जनवरी को सुनवाई
शादी के बीच से लोगों को उठाया जा रहा है
याचिकाकर्ता ने कानून पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि शादी के बीच से लोगों को उठाया जा रहा है. इन कानूनों के कुछ प्रावधान काफी भयानक हैं, क्योंकि शादी के लिए सरकार से इजाजत का प्रावधान किया गया है, जो बिल्कुल आपत्तिजनक है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में उत्तराखंड और यूपी राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है. हालांकि याचिकाकर्ता ने कानून पर स्टे लगाने का आग्रह किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार का पक्ष नहीं सुना है.
इसे भी पढ़ें : प्रणब मुखर्जी की किताब में पीएम को सलाह, मोदी को विपक्ष की आवाज सुननी चाहिए, द प्रेसिडेंसियल ईयर्स बाजार में आ गयी
यह कानून संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है
एक अन्य याचिका में कहा गया कि यह कानून जीवन और लिबर्टी के अधिकार के साथ-साथ किसी को पसंद करने के अधिकार में दखल है. दिल्ली की वकील विशाल ठाकरे एवं अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर भारत सरकार के साथ-साथ यूपी और उत्तराखंड सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि यूपी सरकार ने प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजियस ऑर्डिनेंस 2020 और उत्तराखंड सरकार ने फ्रीडम ऑफ रिलिजियस ऐक्ट 2020 अध्यादेश जारी किया है.
अध्यादेश के जरिए बनाया गया कानून गैर संवैधानिक है.लव जिहाद की बात कह कर कानून बनाया गया है, जो संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है याचिकाकर्ता ने कहा कि इन अध्यादेशों को गैर संवैधानिक और गैर कानूनी घोषित किया जायें.