NewDelhi : प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) में हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी किये जाने की खबर आयी है. CBI ने पीएमएवाई से जुड़े एक घोटाले का खुलासा किया है. घोटाले का आरोप आर्थिक संकट में घिरी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रमोटर कपिल वधावन और धीरज वधावन पर है. उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
बता दें कि दोनों भाई कपिल और धीरज वर्तमान में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जेल में बंद हैं. सीबीआई के अनुसार, कपिल और धीरज वधावन ने फर्जी व काल्पनिक होम लोन मंजूर कर पीएमएवाई के तहत सरकार से 1,880 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी हासिल की.
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539.4 करोड़ की ब्याज सब्सिडी हासिल की
सीबीआई के अनुसार दिसंबर, 2018 में डीएचएफएल ने अपने निवेशकों को पीएमएवाई के तहत 88,651 होम लोन जारी करने और इनके बदले सरकार से 539.4 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी हासिल करने की जानकारी दी. डीएचएफएल ने निवेशकों से 1347.8 करोड़ रुपये की सब्सिडी बकाया होने की बात कही.
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वधावन बंधुओं ने 2.6 लाख फर्जी हाउसिंग लोन अकाउंट खोले
सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में डीएचएफएल के वधावन बंधुओं ने 2.6 लाख फर्जी हाउसिंग लोन अकाउंट खोले, जिनमें से अधिकतर पीएम आवास योजना के तहत खोले गये. इसके बाद वधावन बंधुओं ने डीएचएफएल की काल्पनिक शाखाओं से सरकार से सब्सिडी क्लेम कर ली. यह सारा घोटाला मुंबई के बांद्रा स्थित डीएचएफएल शाखा में किया गया.
सीबीआई ने जानकारी दी कि बांद्रा शाखा में खोले गये खातों से साल 2007 से 2019 के बीच लगभग 14,046 करोड़ रुपये का होम लोन मंजूर किया गया. इसमें 11,755 करोड़ रुपये का लोन नकली कंपनियों से दिखाया गया.
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पीएमएवाई केंद्र सरकार की लोगों को घर देने की योजना
जान लें कि पीएमएवाई केंद्र सरकार की तरफ से देश के लोगों के लिए घर देने की योजना है. इसका लक्ष्य है कि देश के सभी गरीब तबके के नागरिकों के पास उनका अपना घर हो. मोदी सरकार का सपना है कि 31 मार्च 2022 तक 2 करोड़ किफायती घर बनाये जायें. सरकार की ओर से लोगों को घर खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है और इसी का फायदा उठाने के लिए कपिल और धीरज वाधवन ने फ्रॉड किया.
इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को हाउसिंग लोन उपलब्ध कराये जाते हैं. इस क्रम में कम व मध्यम आय वर्ग के लोगों को कर्ज से जुड़ी ब्याज सब्सिडी का लाभ दिया जाता है. लगभग 3 से 6.5 फीसदी तक की यह सब्सिडी सरकार द्वारा सीधे हाउसिंग लोन देने वाले वित्तीय संस्थानों या बैंकों को दी जाती है, जिसे कर्जदार के मूल धन में से घटा दिया जाता है.