Jamshedpur : विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सीएसआईआर राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) द्वारा सोमवार को ऑनलाइन तकनीकी व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. इसमें एनएमएल के अनेक वरिष्ठ वैज्ञानिक, शोधार्थी और तकनीकी व्याख्यान आयोजन समिति के सदस्यों ने पूरी तन्मयता और निष्ठा के साथ इसमें भाग लिया. इससे स्पष्ट है कि सीएसआईआर -राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला जमशेदपुर के वैज्ञानिक तकनीकी विषयों को पूरी निपुणता और सक्षमता के साथ भारतीय भाषा हिन्दी में अभिव्यक्त कर सकते हैं. ये सभी राष्ट्र के गौरव को उत्कर्ष तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभा सकते हैं. हिंदी भाषा में समर्पित वैज्ञानिक व्याख्यान भाषानुकूल अति सरल, सहज-संप्रेषणीय और हृदय तक पहुंचने में सर्वथा समर्थ थे. कार्यक्रम में व्याख्यान प्रस्तुत करने वाले मुख्य वैज्ञानिक सह प्रबंधन के सलाहकार डॉ. अरविन्द सिन्हा ने ‘बायोमिमेटिक : अज्ञात पथ पर मेरी एक अनियोजित शोध यात्रा’ विषय पर अति महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया. उन्होंने नैनो मैटेरियल की चर्चा करते हुए अपनी टीम के साथ इस पर किए गए शोध और विश्व की मानवता के कल्याण के लिए आने वाले दिनों में होने वाले महत्वपूर्ण उपयोग को विस्तार से बताया.
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बायोमीमेटिक मैटेरियल द्वारा उन्होंने कृत्रिम हड्डी के निर्माण और उन्हें जुड़ने में प्रयुक्त होने वाले नैनो मैटेरियल के बारे में विस्तार से बताया. प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रतिमा मेश्राम ने धातुओं का पुनर्चक्रण विषय पर अपने द्वारा किए गए शोध की महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किस प्रकार पदार्थों के पुनर्चक्रण से विश्व के संसाधन को बचाया जा सकता है, महत्वपूर्ण धातुओं को प्राप्त किया जा सकता है और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है. प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके झा “विद्युत्-लेपन तकनीक की उपयोगिता एवं संभावनाएं” विषय पर प्रयोगशाला में किए गए शोध पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि किस प्रकार सीएसआईआर राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला इस दिशा में राष्ट्र को अपनी महत्वपूर्ण सेवा प्रदान कर रही है.
“ब्रह्मांड में धातु और धातुकर्म की कला : एक परिप्रेक्ष्य” पर व्याख्यान
वरिष्ठ वैज्ञानिक कृष्णा कुमार ने “ब्रह्मांड में धातु और धातुकर्म की कला : एक परिप्रेक्ष्य” विषय पर व्याख्यान दिया. परियोजना सहायक टू सोमनाथ दास ने “मैग्नेटोस्ट्रिक्टिव सेंसर का उपयोग करके पाइपों का अल्ट्रासोनिक निर्देशित तरंग परीक्षण” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि इस तरंग परीक्षण द्वारा पाइपों की अंदरूनी स्थिति का पता सरलता पूर्वक लगाया जा सकता है और संसाधन की सुरक्षा की जा सकती है. परियोजना एसोसिएट अजीत गंगवार ने संक्षारण विषय पर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में व्याख्यान समिति के डॉ. आरके साहू, डॉ रणजीत कुमार सिंह, विराज साहू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सफलतापूर्वक मंच के संचालन और कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करने में वैज्ञानिक कालीचरण हेम्ब्रम की भूमिका अति महत्वपूर्ण थी. प्रयोगशाला के राजभाषा विभाग के प्रमुख डॉक्टर पुरुषोत्तम कुमार ने कार्यक्रम का संयोजन किया. प्रयोगशाला के निदेशक डॉ इंद्रनील चट्टोराज ने विश्व हिंदी दिवस के पावन अवसर पर प्रयोगशाला के सभी कार्मिकों को बधाई दी और भविष्य में भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक विषयों पर इसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करने की अपेक्षा की.
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