Ranchi: नगर निगम कार्यालय में इन दिनों रोज़ाना जनता दरबार लगाया जा रहा है, जहां नागरिक अपनी शिकायतें सीधे अधिकारियों के सामने रख सकते हैं. निगम का दावा है कि हर कार्यदिवस सुबह 10:30 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक चलने वाले इस दरबार में अब तक 83 शिकायतें प्राप्त हुई हैं और उन पर तत्काल कार्रवाई भी हुई है. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या रांची शहर में बस इतने ही लोग हैं जिन्हें परेशानियां हैं?
जमीनी तस्वीर कुछ और कहती है. शहर के कई मोहल्ले आज भी बुनियादी सेवाओं से वंचित हैं. कहीं कूड़ा समय पर नहीं उठता, तो कहीं नालियां महीनों से साफ नहीं हुईं. लोग गंदगी में जीने को मजबूर हैं, लेकिन अफसरों को सब कुछ दुरुस्त नजर आता है.
कई स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम की सफाई बस खानापूर्ति बनकर रह गई है. अधिकारी कभी अपने वार्ड का निरीक्षण तक नहीं करते. ना ही ये देखा जाता है कि गली-मोहल्लों में वास्तव में सफाई हो रही है या नहीं.
जनता सवाल पूछ रही है
अगर यही जनता दरबार हर वार्ड में लगाया जाता, तो शायद अफसरों को असली परेशानी दिखती. लेकिन क्या कोई अधिकारी एसी कमरों से निकलकर धूप में जाएगा? आम जनता कोई वीआईपी तो है नहीं कि उसके लिए सड़कों पर झाड़ू लगे या हर सुविधा समय पर पहुंचे.
हकीकत यह है कि साफ-सफाई और बेहतर सुविधा पर हक केवल अमीर इलाकों तक सीमित दिखता है. गरीब बस्तियों में निगम की गाड़ी भी समय पर नहीं जाती. ऐसी स्थिति में जनता दरबार का क्या फायदा जब समस्या वहीं की वहीं रह जाए?
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