SHRI RAM SHAW
New Delhi : आत्मनिर्भर भारत से दुनिया के लिए भारत के दरवाजे खुल रहे है. इसके जरिये भारत, दुनिया में मजबूत, बराबरी वाले, सम्मानजनक और बेहतर शर्तों वाले देश के रूप में स्थापित होगा.
जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो कि भारत को अपनी ऊर्जा को उन क्षेत्रों पर ज्यादा लगाना चाहिए, जिनके बने उत्पादों को हम अपने देश में निर्माण कर सकते हैं. दुनिया के अनुभवों से सीख कर, भारत में दुनिया की सबसे अच्छी तकनीकी, पूंजी, कौशल, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को ले आना है. आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में तकनीकी की सबसे अहम भूमिका होगी. इसके लिए सरकार को स्टार्ट-अप, और उद्योगों के लिए तकनीकी का इकोसिस्टम विकसित कर होगा.
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आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी हकीकत में तब्दील होगा, जब हम वोकल फॉर लोकल के आह्वान को पूरा करेंगे. आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को केवल जन-भागीदारी के जरिए ही हासिल किया जा सकेगा. आत्मनिर्भर भारत हकीकत में तब्दील होगा, लेकिन इसके लिए प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी बेहद जरूरी है.
भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए अगर हम दृढ़ इच्छाशक्ति, जोश और रफ्तार से आगे बढ़ते हैं जो कोई शंका नही है कि हम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हर हाल में हासिल कर सकेंगे. जब आप धर्म की बात करते हैं, तो उसमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा भी शामिल होते हैं जो कि आत्मनिर्भर व्यक्ति, आत्मनिर्भर समाज और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में शामिल है.
हमें ऐसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने चाहिए, जिनसे हमारी पारदर्शी व्यापार व्यवस्था है. उन देशों को हम, अपने उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर मुक्त व्यापार समझौते के लिए राजी कर सकते हैं. भारत को ऐसे विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने चाहिए, जो कि भारत के बड़े बाजार की ओर देख रहे हैं. इसके अलावा वह हमें उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी भी दे सकते हैं. खास तौर से, भारत उन देशों के लिए दरवाजे खोल सकता है, जहां के बाजार में अपने उत्पादों से उसकी पकड़ मजबूत है.
भारत ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने का फैसला इसलिए किया क्योंकि आरसीईपी में कई ऐसे देश शामिल हैं, जो लोकतांत्रिक नहीं है. साथ ही उनकी व्यापार प्रणाली पारदर्शी नहीं है. हमें ऐसे देशों के साथ किसी भी तरह के समझौते करने से पहले सतर्क रहना चाहिए. क्योंकि ऐसे देश व्यापार के दौरान बराबर के अवसर नहीं देते हैं.
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प्रधानमंत्री की कोशिश है कि भारत दुनिया की सप्लाई चेन प्रणाली में एक बड़ा प्लेयर बन कर उभरे. जब भारत अपने जैसी सोच वाले देशों के साथ व्यापार करे, गुड्स और सेवाओं के वैकल्पिक रास्ते तैयार करें तो वह एक भरोसमंद सहयोगी के रूप में खड़ा हो.
भारत उच्च गुणवत्ता वाली मैन्युफैक्चरिंग और उच्च उत्पादन वाली क्षमता विकसित करने पर जोर देर रहा है. गुणवत्ता और उत्पादकता भारतीय मैन्युफैक्चिरंग क्षेत्र का हॉलमार्क (पहचान) होगा. अगले महीने से प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक दिन सरकार निर्धारित करेग, जिस दिन उसे खास तौर से प्रोत्साहित किया जाएगा. एक ऐसा भारत तैयार हो रहा है जिसमें प्रत्येक भारतीय के अंदर एक राष्ट्रीय भावना होगी जो कि भारत और उसके उत्पादों का समर्थन करेंगे, जिसके जरिए भारत मैन्युफैक्चर और सेवाएं देने वाला एक सशक्त देश के रूप में स्थापित होगा.
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (इंसेटिव) कार्यक्रम का 10 क्षेत्रों तक विस्तार कर दिया गया है. इसके जरिए इन क्षेत्रों में संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे हैं 3 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा. अगर हम आंत्रप्रेन्योर को इंसेटिव के जरिए एक बेहतर इकोसिस्टम मुहैया कराएंगे, तो उन्हें उसका फायदा मिलेगा.
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सरकार इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सेक्टर की पहचान कर रही है, नियमों को उदार कर रही है, हैंड होल्डिंग की सुविधा और दूसरे प्रमुख सहयोगात्मक कदम उठा रही. इसके लिए सरकार उद्योग जगत के साथ काफी करीब होकर काम कर रही है. जिसके तहत सरकार उन उद्योगों की पहचान कर रही है, जहां पर भारत प्रतिस्पर्धी रूप से दुनिया में कहीं ज्यादा मजबूत है. सरकार भारत को ऐसा बनाना चाहते है, जिसमें भारत के लोग गर्व के साथ आत्मनिर्भर रूप से रहते हो. भारत में बिजनेस करना कही ज्यादा आसान होगा. इसके लिए सरकार एक प्रभावी एकल खिड़की बनाने पर काम कर रही है.
सरकार भारत को ऐसा बना रही है कि हमारे किसान देश के किसी भी हिस्से में अपने उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे. हमारे किसानों ने हमें खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया है. सरकार अब किसान के हाथ मजबूत कर रही है.
सरकार रेलवे को नए स्तर पर विकसित कर रही है. भारतीय रेल की जरूरतों को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर रही है. आज रेलवे, अपनी कुल खरीदारी का केवल दुनिया के दूसरे देशों से 2 फीसदी खरीदारी करती है. इस 2 फीसदी को सरकार भारतीय बाजार से स्थानांतरित करना चाहते है. भारतीय रेल दिसंबर 2023 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइड हो जाएगी. इसके अलावा 2030 तक भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र 20 गीगा वॉट की क्षमता विकसित कर रहा हैं जिसके बाद रेलवे से प्रदूषण का उत्सर्जन नहीं रह जाएगा.
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