Patna: बिहार के अरवल में हुए चर्चित सेनारी नरसंहार मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. इस कांड में माओवादियों ने 34 लोगों की हत्या कर दी थी. निचली अदालत के मौत की सजा को पलटते हुए पटना हाईकोर्ट ने इसी साल 14 दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया था. इस पर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.
इसे भी पढ़ें-लालू प्रसाद की जगह लेंगे तेजस्वी यादव, बनाए जाएंगे राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष
गौरतलब है कि 18 मार्च, 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन मार्क्सवादी समन्वय समिति यानी एमसीएसी के उग्रवादियों ने अरवल (तत्कालीन जहानाबाद) के सेनारी गांव को चारों तरफ से घेर लिया था. उग्रवादियों ने एक जाति विशेष के 34 लोगों को उनके घरों से निकालकर बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस घटना में 34 लोगों की सामूहिक हत्या की गई थी. जहानाबाद की जिला अदालत ने नवंबर 2016 को मामले में 10 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि 3 अन्य को उम्रकैद की सजा दी थी.
इसे भी पढ़ें-औरंगाबाद में बदमाशों ने कैश वैन से लूटे 41 लाख रुपये, कैशियर को मारी गोली
निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया. लेकिन दोषियों द्वारा पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. आपको बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने 22 मई को निचली अदालत से दोषी ठहराए गए 13 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. साथ ही सभी को तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया था.
इसे भी पढ़ें-बिहारः 5 साल का इंतजार खत्म, सीएम नीतीश के जनता दरबार में उमड़ी फरियादियों की भीड़