Latehar : जिले के सदर प्रखंड के गांव बेसरा में शहीद वीर बुधु भगत का शहदत दिवस मनाया गया. कार्यक्रम के शुरुआत में गांव के बईगा पहन ने गमहेल की पूजा की. इस अवसर पर शहीद वीर बुधु भगत स्मारक समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस जिला कमेटी के अध्यक्ष मुनेश्वर उरांव ने कहा कि अमर शहीद वीर बुधु भगत का जन्म रांची जिला के जान्हो प्रखंड अंतर्गत शीलागइ में उरांव परिवार में हुआ था. 1831-32 में अंग्रेजों का अत्याचार चरम पर था. उन्होंने आदिवासियों का जल, जंगल, जमीन अस्मिता को हिफाजत के लिए पूरे छोटानागपुर के आदिवासियों को संगठित कर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था. इस आंदोलन को इतिहास में कोल विद्रोह के रूप में जाना जाता है.
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बुधु भगत गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे
उन्होंने कहा कि वीर बुधु भगत को पकड़ने के लिए ब्रिटिश शासक रामगढ़ कैंप से 500 घुड़सवार ब्रिटिश सैनिक भेजा था. बुधु भगत गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे. उन्होंने तलवार और तीर धनुष से घोड़ा पर सवार होकर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे. बहुत प्रयास के बावजूद अंग्रेज उन्हें पकड़ नहीं पाई. इस संबंध में अंग्रेज अधिकारी कैप्टन इंपे ने अंग्रेजी हुकूमत को पत्र लिखा कर इलाके से आदिवासियों के विद्रोह को कुचलने और बुधु भगत को जिंदा या मुर्दा पकड़ा के लिए 1000 रुपये इनाम घोषित किया था. लेकिन यहां के आदिवासियों ने बुधु भगत से गद्दारी नहीं की. वीर बुधु भगत वाली कोल विद्रोह और तेज होने लगा. इससे क्षुब्ध होकर अंग्रेजों ने आदिवासियों पर अत्याचार करने का आदेश दे दिया.
शहादत ऐसे हुआ था उनका
उन्होंने आगे बताया कि बुधु भगत 4000 आदिवासियों के साथ अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध बैठक कर रहे थे. इसी समय ब्रिटिश सैनिक ने बैठक को चारों तरफ से घेर कर कमांडिंग ऑफिसर ने गोली चलाने का आदेश दिया. इलाके के आदिवासी समुदाय दीवार बनाकर बुधु भगत को बचाने का प्रयास किया. चारों ओर से घिरते देख वीर बुधु भगत ने अपनी ही तलवार से अपना सिर कलम कर लिया.
वीर बुधु भगत के शहदत दिवस के आयोजन में बड़ी संख्या में इलाके के लोगा जमा हुए. कार्यक्रम के आयोजन में बैगा विलास, देवड़ा पाहन, संगल उरांव, चंद्रदेव उरांव, मांगे उरांव, सिकंदर उरांव, भुनेश्वर उरांव और बहुजन क्रांति मोर्चा के सर्जन उरांव, संतोष उरांव, तरंग अनु राम और सीता राम उरांव ने महत्वपूर्ण भमिका निभाई.
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