LagatarDesk : शापूरजी पलोनजी ग्रुप की यूरेका फोर्ब्स बिकने वाली है. शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने कंपनी में 72 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है. प्राइवेट इक्विटी ग्रुप एडवेंट इंटरनेशनल कंपनी यूरेका फोर्ब्स को खरीदेगी. यह डील 4,400 करोड़ में हुई है. यूरेका फोर्ब्स वैक्यूम क्लीनर और वाटर प्यूरिफायर बनाती है. इस डील से एसपी ग्रुप को 156 साल से अधिक पुराने कर्ज के बोझ से निपटने में मदद मिलेगी. साथ ही कंपनी अपने कोर बिजनेस पर फोकस कर पायेगी.
4400 करोड़ में पूरी हुई डील
लंबे इंतजार के बाद यूरेका फोर्ब्स अपने घरेलू इस्तेमाल में होने वाले डिवाइस के कारोबार की बिक्री प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. एसपीजी ग्रुप में 72.56 फीसदी हिस्सेदारी 4,400 करोड़ में पूरी हुई है. इसमें एडजस्टमेंट भी शामिल है. इसके अलावा इसमें यूरेका फोर्ब्स की डीमर्जर और लिस्टिंग के बाद शेष हिस्सेदारी के लिए एक ओपन ऑफर भी शामिल है.
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2019 में शुरू की थी बिक्री प्रक्रिया
आपको बता दें कि यूरेका फोर्ब्स को बेचने की जिम्मेदारी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को दिया गया था. इसकी बिक्री प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे बीच में ही रोकना पड़ा था. इस साल की शुरुआत में फिर से इसे शुरू किया गया था.
कंपनी पर 20 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज
शापूरजी पलोनजी ग्रुप का टाटा ग्रुप में 18 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है. इस समय एसपी ग्रुप पर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. बता दें कि 2 दशक पहले पलोनजी परिवार ने इस कंपनी को टाटा ग्रुप से खरीदा था.
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कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट है कंपनी का मुख्य कारोबार
एसपी ग्रुप का मुख्य कारोबार कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट का है. यूरेका फोर्ब्स घाटे में चल रही है. इसे लिस्टेड पेरेंट कपंनी फोर्ब्स एंड कंपनी से अलग किया जायेगा. फिर एनसीएलटी से मंजूरी मिलने के बाद इसकी बीएसई पर लिस्टिंग होगी. लिस्टिंग पर एडवेंट कंपनी में 72.56 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी. इसके बाद नियमों के मुताबिक एडवेंट कंपनी एक ऑफर लायेगी.
टाटा -मिस्त्री विवाद की ये थी वजह
बता दें कि शापूरजी पलोनजी ग्रुप की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है. पालोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था. लेकिन 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया था. इसके बाद से ही शापूरजी पलोनजी ग्रुप और टाटा संस के बीच कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस के फेवर में फैसला सुनाया था.
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