NewDelhi : कोरोना और लॉकडाउन में पुरुषों की नौकरियां गयी हैं, तो महिलाओं पर हिंसा भी बढ़ी है. उन पर काम का बोझ भी बढ़ गया है. लड़कियों की पढ़ाई भी छूटी है. जान लें कि हाल ही में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली स्वंयसेवी संस्था ब्रेकथ्रू द्वारा कराये गये सर्वे में ये सभी बातें उजागर हुई हैं
ब्रेकथ्रू के सर्वे में 70 फीसदी पुरुषों और 72 फीसदी महिलाओं ने माना कि कोविड और लॉकडाउन ने रोजगार पर बुरा असर डाला है. रोजगार छिन जाने की वजह से पुरुष आक्रामक हो गये है. पुरुष जरा-जरा सी बात पर महिलाओं पर हिंसा कर रहे हैं. 42 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने आस-पास देखा है और अनुभव किया है कि कोविड/लॉकडाउन की वजह से हिंसा बढ़ी है.
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लड़कियों और महिलाओं दोनों के साथ हिंसा हुई है
लगभग 78.1 फीसदी शहरी और 82.2 फीसदी ग्रामीणों ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं दोनों के साथ हिंसा हुई है. शहरी क्षेत्रों के 78.5 फीसदी ने कहा कि हिंसा करने वाले पुरुष और लड़के थे. व 15.6 फीसदी ने माना कि हिंसा लड़कों और पुरुषों दोनों के साथ भी हुई है. 41 फीसदी पुरूष और 49 फीसदी महिलाओं के अनुसार लॉकडाउन और बेरोजगारी की वजह से पुरुषों के पास पहले से अधिक खाली समय है, जिसकी वजह से वह शराब पीने और स्मोंकिग करने लगे हैं.
लॉकडाउन में घरेलू हिंसा में इजाफा देखने को मिला है. घरेलू हिंसा के कारणों में 44 फीसदी घरेलू काम न करना, 31 फीसदी शराब पीने, 25 फीसदी दूसरों को गाली देने, 18 फीसदी पढ़ाई न करना, 6 फीसदी आर्थिक, 3 फीसदी तनाव, परिवार का दवाब, रोजगार न होना और 1 फीसदी कहने के बाद तुरंत पुरुष के बताये काम को न करना शामिल है.
74 फीसदी पुरुषों और 66 फीसदी महिलाओं के अनुसार लॉकडाउन की वजह से महिलाओं को भी अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है. 48 फीसदी लोगों ने बताया कि उनकी नौकरी चली गयी है और यदि नौकरी बची भी है तो उनको वेतन नहीं मिल रहा है.
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लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा असर
68 फीसदी पुरूष और 57 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से लड़कों के अपेक्षा लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हुई है. 10 फीसदी ने कहा कि वह ऑनलाइन क्लासेज के लिए बच्चों के पास जरूरी जानकारी नहीं है. कई के पास मोबाइल, इंटरनेट आदि की सुविधा नहीं होने की वजह से इसे एक्सेस नहीं कर पाते. वहीं 10 फीसदी ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज उतने प्रभावी नहीं है जितना क्लासरूम होते हैं
कोविड ने बढ़ाया बाल विवाह का खतरा
सर्वे में 10 फीसदी ने कहा कि इस महामारी की वजह से उनके आस-पास लड़कियों की शादी कम उम्र में हो गयी. घर में किसी अन्य महिला सदस्य के न होने की स्थिति में 9 फीसदी महिलाओं को बीमारी के बाद भी घर के काम से छुट्टी नहीं मिली. सर्वे के अनुसार यदि कोई पुरूष बीमार पड़ता है तो महिलाओं पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है, जिसमें 80 फीसदी बीमार के देखभाल में, 65 फीसदी घरेलू काम की, 57 फीसदी बच्चों के देखभाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है.
महिला के बीमार होने पर पुरुषों की जिम्मेदारी भी बढ़ी है. घर के कामों में 71.8, बीमार की देखभाल में 67.6, बच्चों की देखभाल में 61.5 इजाफा हुआ है. 69 फीसदी पुरूषों और 76 फीसदी महिलाओं ने कहा कि अगर कोई बीमार नहीं भी है तो लॉकडाउन की वजह से परिवार के सभी सदस्यों के घर पर होने से महिलाओं पर घरेलू काम का बोझ काफी बढ़ गया है.
सर्वे में शामिल हुए नौ राज्यों के लोग शामिल हुए
सर्वे में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली, असम ,राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लोगों को शामिल किया गया था. इनमें किशोर-किशोरियां, युवा, कम्युनिटी डेवलपर, शिक्षक, फ्रंटलाइन वर्कर्स (आशा-आंगनबाड़ी आदि) और पंचायत के सदस्य शामिल हुए. रैपिड सर्वे में कुल 318 लोग शामिल हुए जिसमें 70 फीसदी औरतें और 30 फीसदी पुरुष थे.
सर्वे में 42.5 फीसदी उत्तर प्रदेश से, बिहार से 19.5 फीसदी, हरियाणा से 19.2 फीसदी,दिल्ली से 11 फीसदी, असम से 1.9 फीसदी, राजस्थान से 0.6 फीसदी, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से 0.3 फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें ग्रामीण इलाकों से 72 फीसदी और शहरी इलाकों से 28 फीसदी शामिल थे.
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