सोशल मीडिया पर लोग हो रहे गुमराह, बढ़ रहा तनाव
सुविधाओं के साथ बढ़ रही परेशानी, मोबाइल पर ज्यादा वक्त देने से बदल गई है जिंदगानी
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : स्मार्टफोन ने जहां घर बैठे लोगों को एक-से-बढ़कर एक सुविधाएं मुहैया कराई है, तो उनकी परेशानी भी बढ़ाई है. इस पर जहां ज्ञान-विज्ञान और मनोरंजन के हर साधन का उपभोग किया जा रहा है, तो इससे ठगी के भी ग्राफ बढ़ रहे हैं. दिनभर मोबाइल से चिपके रहने से बच्चों का करियर भी तबाह हो रहा है. सोशल मीडिया पर लोग गुमराह भी किए जा रहे हैं. इससे बेवजह लोगों का तनाव भी बढ़ रहा है और कई बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं. अधिकांश लोगों का कहना है कि स्मार्ट फोन के आने से पूरी जिंदगानी ही बदल गई है.
केस-1 : हजारीबाग स्थित बंशीलाल चौक के एक बुजुर्ग नेता को फेसबुक पर एक विदेशी महिला ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा. उन्होंने बिना सोचे-समझे उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लिया. फिर वह अश्लील मैसेज और फोटोग्राफ्स भेजने लगी. इससे वह विचलित हो गए. बाद में महिला ने उनसे डेढ़ लाख रुपए मांगे, नहीं तो फंसाने की धमकी तक दे डाली. अब थाना जाने के सिवाय उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा. लेकिन लोक-लज्जावश थाने जाने में भी वह हिचक रहे थे. किसी प्रकार उस महिला को उन्होंने फेसबुक पर ब्लॉक किया और फिर शपथ ले ली कि कभी किसी का फ्रेंडशिप स्वीकार नहीं करेंगे.
केस-2 : कुम्हारटोली की एक युवती के साथ लोन फाइनांस के नाम पर पांच लाख रुपए की ठगी कर ली गई. उसके मोबाइल पर ऑनलाइन पहले फर्जी कंपनी ने कुछ पैसे भेजकर झांसे में लिया. फिर उससे कई तरह के कागजात और पांच लाख मांगे. कंपनी की ओर से कहा गया कि 20 लाख का लोन देंगे. युवती ने पांच लाख रुपए भेजे, उसके बाद कंपनी ने पूरी तरह कॉन्टैक्ट ही खत्म कर लिया. हजारीबाग में ऐसे दर्जनभर केस सामने आए हैं. इसमें पुराने वाहन की खरीदारी से लेकर फौजी बन ठगी तक के मामले प्रकाश में आए हैं.
केस-3 : शहर के एक प्रसिद्ध डॉक्टर ने बताया कि कोविड में उनके बेटे ने मोबाइल की लत पकड़ी, जो अब तक नहीं छूटी है. बोलने पर गुस्सा जाता है और शोर-शराबा करने लगता है. प्यार और फटकार दोनों तरह से उसे मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाना चाह रहे हैं, लेकिन वह सुनता ही नहीं है. अब तो मोबाइल के जरिए ऑनलाइन गेम भी खेलने लगा है. स्कूल से आते ही स्मार्ट फोन में चिपक जाता है. पत्नी मोबाइल नहीं देना चाहती है, तो घर में उधम मचा देता है.
केस-4 : मेरू के उमेश चौबे कहते हैं कि जब से स्मार्ट फोन आया, लोगों ने घरों में बातचीत करना छोड़ दिया है. कोई सीरियल देखता रहता है, तो कोई गेम खेलता रहता है. पहले शाम में लोग एक जगह बैठ कर आपस में बात किया करते थे. सुख-दु:ख में साथ निभाया करते थे. लेकिन अब किसी को इस बात के लिए फुर्सत कहां है.
बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करें : डॉ. रूपा
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल हजारीबाग की मनोचिकित्सक डॉ. रूपा कहती हैं कि बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करें. अभिभावकों को भी उसके लिए गंभीर होना होगा. बच्चे जब खाली रहें, तो उन्हें मोबाइल न देकर उन्हें खेलकूद से जोड़ें अथवा सैर-सपाटे के लिए ले जाएं. उसका मन स्मार्ट फोन से हटाने का प्रयास करें. एक सीमित अवधि के लिए ही उन्हें फोन दें और उस पर भी निगरानी रखें. अभिभावकों को भी बच्चों के सामने मोबाइल से थोड़ा परहेज करना होगा. टीन एज के बच्चों को काउंसलर के पास लेकर जाएं. कोविड के बाद यह प्रवृत्ति करीब-करीब हर घर के बच्चों की बनी है. लगातार मोबाइल पर रहने से अनिद्रा समेत कई बीमारियों का खतरा रहता है. अनिद्रा से ही कई बीमारियों के लोग शिकार हो जाते हैं. ऐसे में स्मार्ट फोन से दूरी बहुत जरूरी है.
इसे भी पढ़ें : सनातन पर हमला करने को लेकर INDIA के नेताओं पर हमलावर हुए शाह, लाल डायरी से गहलोत को घेरा