Pravin kumar
Ranchi: मोदी सरकार देश में भूमि संबंधी कानूनों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. केंद्र पूरे देश में भूमि संबधी एक कानून लाने की योजना पर काम कर रहा है. इसे लैंड टाइटलिंग एक्ट का नाम दिया गया है. इस एक्ट का मसौदा आयोग ने राज्यों को भेजा है. झारखंड सरकार को भी इसका मसौदा मिला है. अगर यह कानून लागू हो जाता है, तो ऐसी संभावना है कि राज्य में सीएनटी-एसपीटी एक्ट खत्म हो जायेगा. इस संबंध में राज्य के अधिकारियों ने भी सवाल उठाया है. उन्होंने लैंड टाइटलिंग एक्ट में पांचवीं अनुसूची के तहत सीएनटी-एसपीटी एक्ट का जिक्र नहीं होने की बात कही है.
इसे भी पढ़ें –ठेकेदार पंचम सिंह और भाजपा नेता परमा सिंह के ठिकानों पर आयकर छापा
नये कानून पर केंद्र की दलील
नीति आयोग द्वारा राज्य सरकार को भेजे गये लैंड टाइटलिंग एक्ट के मसौदे में विस्तार से सभी प्रावधानों पर चर्चा की गयी है. यह मसौदा करीब 300 पन्नों का है. नीति आयोग ने कहा है कि इस कानून को लाने का मकसद भूमि संबधी मुकदमों को कम करना और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाना है. वर्तमान मसौदा, मॉडल अधिनियम और नियम राज्य सरकारों को अचल संपत्तियों के टाइटल पंजीकरण की एक प्रणाली की स्थापना, प्रशासन और प्रबंधन के लिए आदेश देने की शक्ति प्रदान करेंगे. इसमें विवादों की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल के गठन का भी जिक्र है.
इसे भी पढ़ें –लाल किला हिंसा मामला : दिल्ली पुलिस ने आरोपी दीप सिद्धू को किया गिरफ्तार
राज्य सरकार कर रही विचार
नीति आयोग ने बीते वर्ष सितंबर में लैंड टाइटलिंग एक्ट का मसौदा राज्य सरकार को भेजा था. सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है. राज्य ने अभी आयोग को अपना मंतव्य नहीं भेजा है. सूत्रों का कहना है कि मसौदे पर राज्य सरकार को अपना मंतव्य देना आवश्यक है. अगर राज्य सरकार मंतव्य नहीं देगी, तो इसे मान्य माना जायेगा. इसे लेकर राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों के बीच पत्रचार चल रहा है.
इसे भी पढ़ें –ओरमांझी : 18 घंटे बाद भी ग्रामीणों ने नहीं हटाया शव, कर रहे मुआवजे की मांग
तो क्या होगा सीएनटी-एसपीटी एक्ट का
झारखंड जैसे जनजातीय बहुल राज्य में सीएनटी -एसपीटी एक्ट जैसे कानून आदिवासी-दलित एवं पिछड़ी जातियों की जमीन को सुरक्षा देते हैं. प्रस्तावित कानून से सीएनटी-एसपीटी एक्ट के प्रावधान समाप्त होने की आशंका दिख रही है. क्योंकि इ,में सीएनटी-एसपीटी एक्ट, आदिवासी भूमि की रक्षा, एस46, 71ए जैसे प्रावधानों का कोई जिक्र नहीं है.
इसे भी पढ़ें –अब लोन लेना हुआ सस्ता, HDFC और Canara बैंक ने घटाया MCLR
लुप्त हो जायेगी आदिवासियों की संस्कृति
मसौदे में आदिवासियों की समुदायिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक भूमि जैसे सरना जाहेर थान, देशावली, देवीस्थान, मसना, हरगड़ी, डालीकातारी, भूतखेता, पहनइ, महतोइ, पइनभोरा, कोटवारी, नौकराना, जतरा स्थल, अखड़ा, धुमकुड़िया के प्रावधान का कोई जिक्र नहीं है. झारखंड पांचवी अनुसूची का क्षेत्र है. यहां सीएनटी-एसपीटी एक्ट लागू है. यह मसौदा भूमि अधिग्रहण कानून-2013 को भी स्वतः समाप्त करता दिख रहा है. ऐसी हालत में नये कानून का असर सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर कितना होगा, यह तो कानून बनने और इसके अमल में आने के बाद ही सामने आ सकेगा. सूत्रों के मुताबिक भू राजस्व विभाग द्वारा नीति आयोग को अपना मान्वय भेजना है.
इसे भी पढ़ें –क्या PM ने देश के किसान, सेना-पुलिस के जवान, शिक्षक-छात्र, मजदूर, नेता, वकील, पत्रकार सबका अपमान नहीं किया !