Ranchi : आदिवासी सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड के विभिन्न जिलों से आए सभी आदिवासी समाज के लोगों ने राजभवन के समक्ष धरना दिया. आदिवासी समाज के लोगों ने बताया कि आजाद भारत से पहले आदिवासी धर्म कोड था लेकिन आजाद भारत के बाद षड्यंत्र के तहत हमारा धर्म कोड हटा दिया. हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि जो भी आदिवासी समाज से आते हैं, उनके लिए अलग धर्म कोड और जनगणना प्रपत्र में जिस प्रकार हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म कोड है, उसी प्रकार हमारा भी एक धर्म कोड हो, ताकि हम उस पर राइट का टिक करें.
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आदिवासी सरना धर्म कोड को 2021 की जनगणना में लागू करे
इस अवसर पर पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने बताया कि 15 करोड़ आदिवासी पूरे देश में रहते हैं. 80 लाख अन्य धर्मों के कॉलम में आते हैं. झारखंड के 40 लाख धर्म के लोग अन्य कॉलम को लिखा है. हम चाहते हैं कि पूरे देश में प्रयास कर रहे हैं कि 1871 से 1951 तक हमारा अलग धर्म कोड था. आदिवासी धर्म कोड को एक साजिश के तहत 1961 में हटा दिया गया. हम 2021 की जनगणना में सरकार 1951 से पूर्व जो व्यवस्था थी, वही करे. यही हमारी केंद्र सरकार से मांग है.
हेमंत सरकार ने दिया साथ, अब केंद्र भी हमारा साथ दे
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासी धर्मकोड को लेकर बताया कि हम 2002 से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक नहीं हो पाया है. हेमंत सरकार तो हमारे साथ है. उन्होंने पास करके भेज दिया, लेकिन केंद्र सरकार से हम मांग करते हैं कि यह राष्ट्रव्यापी मांग है. केंद्र का मामला है. धर्म कोड का मामला है. इसलिए हम महामहिम राज्यपाल द्वारा भेजना चाह रहे हैं और हमें विश्वास है कि यह पूरा होगा.
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