Hathras (Uttar Pradesh) : यूपी के हाथरस में बड़ा हादसा हुआ है. यहां हो रहे भोलेबाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में कम से कम 120 श्रद्धालुओ के मौत की खबर है. अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है. मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हैं. हाथरस के डीएम आशीष कुमार के अनुसार, एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ से 60-70 लोगों की मौत हो गई है. ये एक निजी कार्यक्रम था, जिसके लिए आयोजकों ने एसडीएम से अनुमति ली थी.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के लिए दो-दो लाख रुपए की अनुग्रह राशि घोषित की है. वहीं घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं.अपनी कैबिनेट के दो मंत्रियों, मुख्य सचिव और डीजीपी को मौके पर भेजा है. इस बीच, इस हादसे पर देश के तमाम बड़े नेताओं ने शोक प्रकट किया है. बताया गया कि हाथरस के सिकंदराराऊ कोतवाली क्षेत्र के गांव फुलराई में भोलेबाबा का प्रवचन का समापन कार्यक्रम चल रहा था. इसी दौरान उम्मीद से ज्यादा भीड़ आ गई थी. एक अनुमान के अनुसार सवा लाख लोग पहुंच गए थे. इसी दौरान लोग भीड़ के कारण परेशान होने लगे. भीड़ और गर्मी के कारण लोग बेहोश होने लगे, तो भगदड़ मच गई. घायलों को अलीगढ़ व हाथरस में उपचार के लिए भेजा गया.
मुख्यमंत्री ने हाथरस और आसपास के जिला प्रशासन के अधिकारियों को घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं. भगदड़ में महिलाएं, पुरुष और बच्चे जमीन पर गिर गए. लोग कुचलते हुए भागने लगे. जिससे 50 से अधिक लोगों ने मौके पर दम तोड़ दिया. उधर, इस घटना से प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में पुलिस समेत आला अधिकारी मौके पर पहुंचे. घायलों को अस्पताल भिजवाया. जबकि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
एटा के एसएसपी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि यह घटना पुलराई गांव में सत्संग में हुई, जिसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए थे. उन्होंने कहा, एटा अस्पताल में 27 शव लाए गए हैं. मरने वालों में 23 महिलाएं, तीन बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं. सिकंदराराऊ थाने के एसएचओ ने कहा कि भगदड़ वस्तुत: अत्यधिक भीड़ होने की वजह से हुई. हादसे के बाद इतने घायल पहुंचे कि सरकारी अस्पतालों में स्ट्रेचर भी कम पड़ गए. अस्पतालों के बाहर लोगों को तड़पते देखा गया. प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराया है. इस बीच, मौके पर बहुत लोग भीड़ और लाशों के बीच अपनों को तलाश करते दिखाई दिए हैं.
अत्यधिक भीड़ व बदइंतजामी से हुआ हादसा
सत्संग में शामिल होने के लिए अपने परिवार के साथ जयपुर से आई एक महिला ने बताया कि सत्संग के समापन के बाद लोग एकदम से बाहर निकलने लगे, जिससे भगदड़ मच गई, जिससे यह हादसा हुआ. महिला ने बताया कि प्रवचन स्थल पर भारी बदइंतजामी की वजह से यह हादसा हुआ है. महिला ने बताया कि हम दर्शन करने आए थे. बहुत भीड़ थी. जब भगदड़ मची तो मैं और मेरा बच्चा भी भीड़ के नीचे आ गया. अपनी घायल मां के साथ अस्पताल पहुंची एक युवती ने बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद भगदड़ मच गई. हम लोग खेत के ओर से निकल रहे थे, तभी अचानक भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी, जिससे कई लोगों नीचे दब गए. हमारे साथ एक और शख्स आए थे. उनकी मौत हो गई है. सिकंदराराऊ में एक दिवसीय सत्संग सुबह मंगलवार से शुरू हुआ था. हाथरस भगदड़ को लेकर पहले ही एलआईयू ने प्रशासन को भीड़ को लेकर चेताया था. इसके बाद भी कोई इंतजाम नहीं किया गया. एलआईयू ने अफसरों को किसी बड़ी घटना होने का अंदेशा जता दिया था, लेकिन इसके बाद भी अफसर मौन साधे बैठे रहे और श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई. हादसे के बाद मंडल से लेकर लखनऊ तक से अफसर पहुंच गए हैं.
प्रशासन की कमजोरी से हुआ हादसा: आयोजक
इस बीच, सत्संग पर आयोजन समिति से जुड़े महेश चंद्र ने कहा कि हमने जिला प्रशासन से अनुमति लेकर कार्यक्रम कराया था. कार्यक्रम में एक लाख से अधिक श्रद्धालु आयोजन मौजूद थे. जब कार्यकम खत्म हुआ तब भगदड़ मच गई. ये हादसा प्रशासन की कमजोरी की वजह से हुआ है. कार्यक्रम खत्म होने के बाद कीचड़ में लोग एक के ऊपर एक गिरते रहे, कोई संभालने वाला नहीं था. मैं भंडारे का काम देख रहा था. उन्होंने बताया कि हाथरस में ये कार्यक्रम 13 साल बाद हुआ है. हमारे पास 3 घंटे की परमिशन थी. 1.30 बजे कार्यक्रम खत्म होने के बाद घटना हुई है. प्रशासन को अनगिनत श्रद्धालुओं के कार्यक्रम में आने की जानकारी दी गई थी. जहां इंतजाम किए गए थे, वहां बहुत भीड़ थी. कार्यक्रम में 12 से साढ़े 12 हजार सेवादार थे. हमने इतने स्तर पर पूरे इंतजाम किए थे. एंबुलेंस नहीं थी. कार्यक्रम खत्म हुआ तो एक साथ भागने लगे और भगदड़ मची. बरसात के मौसम में कीचड़ की वजह से लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे थे.
सरकारी नौकरी छोड़ बाबा बने साकार हरि
हाथरस में लोग जिस भोले बाबा के सत्संग में पहुंचे थे, वह पहले सरकारी नौकरी करते थे. भोले बाबा का असली नाम नारायण साकार हरि है. बाताया जाता है कि वह एटा जिले की पटयाली तहसील के गांव बहादुर नगरी के रहने वाले हैं. उन्होंने 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ कर प्रवचन शुरू किया था. उन्होंने अपने प्रवचन में बताया था कि वे गुप्तचर ब्यूरो में नौकरी करते थे.
सबने दुख जताया
यूपी के हाथरस में हुई दुर्घटना में महिलाओं और बच्चों सहित अनेक श्रद्धालुओं की मृत्यु का समाचार हृदय विदारक है. मैं अपने परिवारजनों को खोने वाले लोगों के प्रति गहन शोक संवेदना व्यक्त करती हूं तथा घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं.- द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति
हाथरस में भगदड़ के बाद हुआ बहुत ही दुखद है. राज्य सरकार की देखरेख में प्रशासन राहत और बचाव में जुटा हुआ है. केंद्र सरकार के अधिकारी लगातार राज्य सरकार के संपर्क में हैं. सदन के माध्यम से भरोसा देता हूं कि पीड़ितों की हरसंभव मदद की जाएगी. -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
हाथरस में मची भगदड़ से कई श्रद्धालुओं की मृत्यु अत्यंत पीड़ादायक है. सरकार और प्रशासन घायलों को उपचार एवं पीड़ित परिवारों को राहत उपलब्ध कराएं. इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि राहत- बचाव में अपना सहयोग प्रदान करें. राहुल गांधी, नेता प्रतिपक्ष
हाथरस में हुई जनहानि अत्यंत दुःखद एवं हृदय विदारक है. मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं. राहत एवं बचाव कार्यों के युद्ध स्तर पर संचालन और घायलों के समुचित उपचार हेतु निर्देश दिए हैं. सरकार पीड़ितों की हरसंभव मदद करेगी. -योगी आदित्यनाथ, सीएम यूपी
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