Ranchi : झारखंड बीजेपी के तीन प्रवक्ता बदले जा सकते हैं. जातीय समीकरण के हिसाब से प्रवक्ताओं का चयन करने का प्रदेश नेतृत्व को निर्देश मिला है. सूत्रों के मुताबिक 30 जून को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आये बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री सीटी रवि ने प्रवक्ताओं की टीम में एसटी, एससी और ओबीसी प्रवक्ता नहीं होने पर गहरी नाराजगी जतायी थी और तीनों जाति से एक-एक प्रवक्ता बनाने का निर्देश दिया था.
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ST,SC, OBC प्रवक्ता नहीं होने से नाराज हुए थे सीटी रवि
रांची में सीटी रवि ने कार्यसमिति की बैठक के बाद बीजेपी के प्रदेश मीडिया विभाग और प्रवक्ताओं के साथ बैठक की थी. बैठक शुरू होते ही उन्होंने पूछा कि ओबीसी से कौन से प्रवक्ता हैं. जवाब में प्रदेश नेतृत्व बगल में झांकने लगा. फिर उन्होंने एसटी और एससी प्रवक्ता के बारे में पूछा. जवाब मिला की इस कोटे से भी कोई प्रवक्ता नहीं है. इसके बाद सीटी रवि नाराज हो गये. इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष समेत और भी पदाधिकारी मौजूद थे.
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पार्टी महामंत्री ने किया निर्देश मिलने की बात से इनकार
सीटी रवि के निर्देश के डेढ़ महीने बाद भी प्रवक्ताओं की नई टीम नहीं बनी है. वहीं सीटी रवि के दिये गये निर्देश पर अमल करने को लेकर जब बीजेपी के प्रदेश महामंत्री प्रो आदित्य साहू से बात की गई, तो उन्होंने सीटी रवि की तरफ से ऐसा किसी भी तरह का निर्देश मिलने की बात से साफ इनकार कर दिया.
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मौजूदा 6 प्रवक्ताओं में सभी सामान्य जाति के
गौरतलब है कि प्रदेश की नई कार्यसमिति में 7 प्रवक्ताओं का चयन किया गया था. करीब ढाई महीने पहले मिस्फिका हसन को बीजेपी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री बनाये जाने के बाद प्रदेश में एक प्रवक्ता कम हो गया है. फिलहाल 6 प्रवक्ता ही राजनीतिक मुद्दों पर बयान दे रहे हैं।.प्रवक्ताओं की टीम में फिलहाल कुणाल षाडंगी, प्रदीप सिन्हा, अमित सिंह, प्रतुल शाहदेव, अविनेश कुमार और सरोज सिंह शामिल हैं. ये सभी सामान्य जाति से हैं.
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पदाधिकारी नियुक्ति में जातिगत औऱ सामाजिक समीकरण का ख्याल रखना क्यों जरूरी
प्रदेश बीजेपी के विभिन्न पदों में पदाधिकारियों की नियुक्ति में जातिगत समीकरण के हिसाब से बैलेंस बनाया गया है, लेकिन प्रवक्ताओं की टीम में बैलैंस नहीं बन सका. सिर्फ मिस्फिका हसन को प्रवक्ता बनाकर एक अल्पसंख्यक नेता को जगह दी गई थी. एसटी, एससी और ओबीसी जाति के प्रवक्ता नहीं होने पर सीटी रवि की नाराजगी की यह वजह बताई जाती है कि झारखंड में अधिकांश वोटर एसटी, एससी और ओबीसी हैं और इन वोटरों के बीच पार्टी को रिप्रजेंट करने वाले फेस भी इन जातियों से होने चाहिए. उम्मीद जतायी जा रही है कि 4 पदाधिकारियों के खाली पदों पर नियुक्ति के समय पार्टी प्रवक्ताओं का भी चयन जातिगत और सामाजिक समीकरण के हिसाब से करेगी.
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