Ranchi : राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में एसटी-एससी वर्ग के कर्मियों की प्रोन्नति में अनियमितता हुई है. राज्य गठन के बाद वर्ष 2007 से 2019 के दौरान विभिन्न विभागों में दी गयी प्रोन्नति पर विधानसभा की विशेष कमेटी समीक्षा कर रही है. समिति के द्वारा जल्द ही सरकार को रिपोर्ट दे दी जायेगी. उक्त बातें पूर्व शिक्षा मंत्री व मांडर विधायक बंधु तिर्की ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि राज्य में एसटी- एससी वर्ग के कर्मियों की पदोन्नति को लेकर 2007 के बाद से ही राज्य में अनियमितता बरती गयी है. जिसके कारण राज्य के वरीय पदों पर एसटीएससी कर्मियों का प्रोन्नति नहीं पा पाते हैं.
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प्रोन्नति में आरक्षण की बात नहीं
बंधु तिर्की ने साफ किया इस मामले में वह प्रोन्नति में आरक्षण की बात नहीं कर रहे हैं. वह सभी के लिये वरीय पदों पर मेरिट के आधार पर अवसर की बात कर रहे हैं. इसमें एसटीएसी कर्मियों को इसका लाभ 2007 के बाद से नहीं मिल पा रहा है, जिसके वह हकदार है. प्रोन्नति के मामले में भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट से लेकर महाधिवक्ता तक का साफ मंतव्य है कि प्रोन्नति में एसटीएससी कर्मियों को भी समान अवसर मिलना चाहिए.
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संविधान में है प्रावधान
श्री तिर्की ने कहा भारतीय संविधान की धारा 16 (4) (ए) के अन्तर्गत प्रोन्नति में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का प्रवधान किया गया है. आर के सबरवाल मामले में पारित न्याय निर्णय में कहा है कि मूल कोटि की वरीयता सूची में समामान्य रूप से वरीय रहने वाले एसटीएसी को अनरक्षित मानते हुए अनारक्षित रोस्टर बिन्दु पर प्रोन्नत करने का प्रावधान है. इस पर संविधान पीठ द्वारा भी सहमति दी गयी है जिसका राज्य में पलान नही किया जा रहा है.
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राज्य में प्रोन्नति पर चलता है खेल
बंधु तिर्की ने आगे कहा 2007 के बाद से महाधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार के मन्तवय को दरकिनार कर सूबे के अधिकारी-एसटीएससी कर्मियों के प्रोन्नति का अवसर सजिश के तहत अवरुद्ध किया जाता है. विधानसभा की विशेष समिति 10 दिसंबर से पहले अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौप देगी. इस पूरे मामले को लेकर विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मामले को समाने लाया गया था. जिसके बाद विधानसभा के द्वारा विशेष समिति का गठन किया गया था.
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राज्य के ब्यूरोक्रेट एसटी-एससी कर्मियों के खिलाफ करते हैं साजिश
बंधु तिर्की ने कहा कि 2007 के बाद से ही बिना किसी संकल्प बिना किसी अध्यादेश के ही राज्य के व्यरोक्रेट ने एसटीएससी कर्मियों के खिलाफ बड़ी साजिश के तहत की है. उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए प्रोन्नति में समान अवसर को बाधित करने का काम किया है. वैसे अधिकारीयों पर एसटीएससी उत्पीड़न का मामले दर्ज करते हुए सरकार को प्रथामिकी दर्ज करानी चाहिए.
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