सदर विधायक ने राज्य की गिरती कानून व्यवस्था पर जताई चिंता
सदन में उठाए सवालों को गिनाया, कहा-बजट सत्र लूट के एजेंडे के लिए किया गया इस्तेमाल
नकल विरोधी बिल को बताया काला कानून के समान
Hazaribagh : सदर विधायक मनीष जायसवाल ने प्रेसवार्ता कर सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया और कहा कि बजट सत्र लूट के एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया गया. जन कल्याण के लिए इस सत्र में कोई भी काम नहीं किया गया. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि कि कागज कभी मरता नहीं है. आगे यही कागजी कार्रवाई का कारण बनता है. दरअसल यह बात उन्होंने किसी मामले की जांच पर कही. उन्होंने कहा कि बीते 28 जुलाई से चार अगस्त तक यह मानसून सत्र चला. कुल छह दिनों में पांच दिन प्रश्नावली दिवस का था. उन्होंने कहा कि हर विधानसभा सत्र के तर्ज पर इस मानसून सत्र में जनहित और राज्यहित के मुद्दों को लेकर कुल नौ प्रश्न सदन में डाले.
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नकल विरोधी बिल से भ्रष्टाचार को मिलेगा बढ़ावा : मनीष जायसवाल
विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि झारखंड सरकार मानसून सत्र के दौरान जो नकल विरोधी बिल लाने का प्रयास कर रही है, जो एक काला कानून है. कानून लाकर सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है. झारखंड में आने वाले 26 हजार सहायक शिक्षकों की बहाली से पहले इस कानून को लाकर भ्रष्टाचार की राह प्रशस्त करना चाहती है. काले कानून के माध्यम से आवाज उठाने वालों को दबाकर 26 हजार नौकरियों को लूटने की योजना बना रही है. इस बिल में पदाधिकारी, उनके परिवार वाले और दोस्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं किया जाएगा. वहीं जो शिकायतकर्ता होंगे, बिना किसी वारंट और कारण के गिरफ्तार किए जा सकते हैं, इस कारण यह बिल नौकरी लूटने का दूसरा पर्याय बनता जा रहा है.
प्राइवेट यूनिवर्सिटी सिर्फ डिग्री बेचने का कार्य करती है : मनीष जायसवाल
विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि सरकार ने प्राइवेट यूनिवर्सिटी के बिल को देखने के लिए एक कमेटी गठित की थी. लेकिन उस कमेटी ने कोई कार्य नहीं कर पुनः मानसून सत्र में दो-चार प्राइवेट यूनिवर्सिटी को पास कर दिया गया. उन्होंने कहा कि झारखंड की अधिकांश प्राइवेट यूनिवर्सिटी सिर्फ डिग्री बेचने का धंधा करती है. यह जानते हुए भी सरकार ने पुरानी प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर किसी प्रकार का कोई नकेल कसे बिना अपना फायदा उठाकर यूनिवर्सिटी पास करा दिया. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एक सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी का भी बिल लेकर आयी है, जिसमें परंपरागत ढांचे के विपरीत मुख्यमंत्री को कुलाधिपति होने का प्रस्तावित किया है, जबकि राज्य के राज्यपाल किसी भी विश्वविद्यालय के परंपरागत कुलाधिपति होते हैं.
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राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर : विधायक
उन्होंने कहा कि कुछ गैर भाजपा शासित प्रदेशों में सुनियोजित तरीके से संघीय ढांचा के विपरीत एक समानांतर व्यवस्था कायम करने की प्रथा चल रही है. इसी व्यवस्था के तहत झारखंड में भी कार्य किया जा रहा है. एक ही तरह के कार्य में जब दो तरह की व्यवस्थाएं चलेंगी, तो निश्चित रूप से तकरार होगा और इससे बेसिक की जरूरत का औचित्य खत्म होकर सिर्फ राजनीतिक एजेंडा तक सीमित हो जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. भ्रष्टाचार चरम पर है. कोयला, बालू, पत्थर और लकड़ी की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है. ड्रग्स का कारोबार तेजी फल-फूल रहा है. हत्या, बलात्कार, चोरी- लूट सरेआम हो रही है. नियोजन व स्थानीय नीति को लेकर युवाओं की जनभावना से खिलवाड़ हो रहा है. राज्य में सुखाड़ की स्थिति बन रही है और किसान परेशान हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था कोमे में है और राज्य के ऐसे ज्वलंत एवं महत्वपूर्ण विषयों को लेकर हमलोग सदन पटल पर चर्चा चाहते थे. लेकिन सत्ता पक्ष ने निजी एजेंडे के साथ औपचारिकताओं में इस महत्वपूर्ण सत्र को गुजार दिया और जनता के प्रश्न को पूरी तरह गौण कर दिया.
विधानसभा में राज्य पर नहीं देश पर होती है चर्चा : मनीष जायसवाल
विधायक मनीष जायसवाल ने मॉनसून सत्र के दौरान झारखंड विधानसभा की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि सत्ताधारी विधायक अपने को एमपी एवं झारखंड विधानसभा को लोकसभा समझ रहे थे. उसी तर्ज पर झारखंड की स्थिति पर बात नहीं कर, देश के विषयों पर चर्चा करने में अधिक मशगूल रहें. वर्तमान सरकार की विफलता के चलते राज्य की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण हो गई है. लेकिन राज्य के सत्ताधारी विधायकों को उससे अधिक अन्य प्रदेशों की चिंता सता रही थी.