Ranchi: मिशन 2024 को लेकर भाजपा लगातार राज्यों में सांगठनिक बदलाव कर रही है. संगठन महामंत्रियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग हो रही है. प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा रहे हैं. यूपी, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल और दिल्ली समेत कई राज्यों में भाजपा ने नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. अब झारखंड की बारी है. प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के बीच मध्यवाधि चुनाव की भी संभावना जतायी जा रही है. ऐसे में प्रदेश में संगठन की बागडोर किसी तेज-तर्रार और राजनीति के माहिर खिलाड़ी के हाथों में दी जा सकती है. प्रदेश भाजपा में चर्चा है कि कभी भी नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है.
हालांकि जब इस मामले पर हमने प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश से पूछा तो उन्होंने कहा कि संगठन में फिलहाल बदलाव नहीं होने जा रहा है. जब होगा तो मीडिया को बताया जाएगा.
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प्रदेश अध्यक्ष के लिए 6 नेताओं के नाम की चर्चा
अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसकी चर्चा जोरों पर है. कई नेताओं के नाम हवा में तैर रहे हैं. इनमें केंद्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद आदित्य साहू, प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा, विधायक अनंत ओझा और पूर्व सांसद रविंद्र राय के नाम प्रमुख हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इस बार किसी मजबूत कंधे पर भी प्रदेश अध्यक्ष पद का बोझ डालेगी. पार्टी उसी नेता पर दांव खेलेगी जो 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी की मजबूती के साथ नेतृत्व कर सके. संगठन के हित में कड़े फैसले ले सके और चुनावी दांव-पेंच एवं जोड़-तोड़ में माहिर हो.
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मजबूत कंधे पर डाला जाएगा प्रदेश नेतृत्व का बोझ
यूपी में भाजपा ने कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी को, छत्तीसगढ़ में लोकसभा सांसद अरूण साव और उत्तराखंड में महेंद्र भट्ट को पार्टी की कमान सौंपी है. प्रदेश अध्यक्ष के चयन में जातिगत समीकरण से ज्यादा नेताओं की काबिलियत और संगठन पर उनकी पकड़ को ध्यान में रखा गया है. इस हिसाब से झारखंड में तीन ही नेता हैं जिनपर केंद्रीय नेतृत्व भरोसा कर सकता है. यह नेता बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास और रविंद्र राय हैं. बाबूलाल मरांडी प्रदेश के राजनीति को भली-भांती समझते हैं. दोबारा लौटने के बाद भाजपा में भी उन्होंने अच्छी पकड़ बना ली है.
वहीं रघुवर दास जोड़-तोड़ की राजनीति में काफी माहिर हैं. विपक्षी पार्टियों को चुनाव के समय डैमेज करने के गुर में पारंगत हैं. इसलिए उन्हें भी भाजपा प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है. वे पहले भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. रविंद्र राय भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्हें संगठन को चलाने का अनुभव है. इस लिहाज से उनपर भी केंद्रीय नेतृत्व भरोसा जता सकता है.