Ranchi: इस्पात मजदूरों ने बुधवार को हड़ताल की. यह हड़ताल देशव्यापी आंदोलन के तहत की गयी. इसमें राज्य की खनन और माइनिंग कंपनियों में असर देखा गया. इस दौरान सेल, बोकारो इस्पात संयंत्र जैसी कंपनियों में उत्पादन से लेकर ढुलाई तक बंद रही. वहीं माइनिंग इलाकों में खनन भी नहीं किया गया. इस हड़ताल में देश की सभी राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों की भागीदारी राज्य में रही. इन यूनियनों से जानकारी मिली कि सिर्फ बोकारो इस्पात संयंत्र में 15500 ठेका मजदूर आंदोलन में शामिल हुए.
वहीं दस हजार नियमित कामगार ने काम बंद किया. ऐसे में सिर्फ बोकारो में 25 हजार 500 मजदूरों ने हड़ताल का समर्थन किया. इसके साथ ही मेघाहातुबुरू, किरुबुरू, भवनाथपुर, गुआ, धनबाद के सेल की दो खदानें में लगभग पांच हजार मजदूरों ने हड़ताल का समर्थन किया.
किन-किन इलाकों में रहा अधिक प्रभाव
सीटू के महासचिव प्रकाश विप्लव ने बताया कि लौह अयस्क खदानों में अधिक असर रहा. इसमें पश्चिमी सिंहभूम, धनबाद, बोकारो में देखा गया, जहां इस्पात उत्पादन से लेकर खनन कार्य तक प्रभावित रहे. हालांकि राज्य के इन्हीं इलाकों में इस्पात कार्य किये जाते हैं, जिससे यहां ही असर देखा गया. इसमें मेघाहातुबुरू, किरीबुरू, भवनाथपुर, गढ़वा, कुटेश्वर, चिड़िया खदान आदि शामिल है. प्रकाश ने बताया कि आंदोलन वेतन पुनरीक्षण और चार लेबर कोड के विरोध में किया गया. एक आंकलन है कि क्षेत्र इस्पात से जुड़ा है, जिससे नुकसान करोड़ों का हुआ है.
इस्पात मंत्रालय कर रहा अपमानित
इस दौरान मजदूर नेताओं ने कहा कि कोविड काल में इस्पात मजदूरों ने बढ़-चढ़ कर काम किया. देश में ऑक्सीजन की कमी थी. ऐसे में मजदूरों ने अपने श्रम से लोगों को सांसें दी. इसके बाद भी इस्पात मंत्रालय देश के मजदूरों के साथ दोहरी नीति अपना रही है. इस हड़ताल में राज्य के पांच केंद्रीय ट्रेड यूनियन और 11 श्रमिक संगठनों ने समर्थन किया. इस दौरान इस्पात मजदूर मोर्चा के महासचिव बीडी प्रसाद ने कहा कि एनजेसीएस मजदूर संगठनों और प्रबंधन के बीच वार्ता की एक मान्यता प्राप्त वर्किंग बॉडी है. इस बाॅडी ने वेतन पुनरीक्षण के संबध में कई दौर की बातचीत की. इस्पात मंत्रालय के इशारे पर प्रबंधन ने श्रमिक विरोधी रवैया अपनाया. सरकार मजदूरों को अपमानित कर रही है.