Ranchi: पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी प्रखंड में प्रगतिशील किसान मधु हांसदा ने फूलों की खेती में अपनी अलग पहचान बनायी है. गोहला पंचायत के गोहला ग्राम के रहने वाले मधु ने स्नातक तक की पढ़ायी की है तथा पूर्व में रोजगार सेवक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. वे बताते हैं कि रोजगार सेवक रहते हुए उन्होने समय निकालकर खेती-बाड़ी और बागवानी करना शुरू किया था. जिसमें मन लगने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरी तरह से अब संरक्षित फूलों की खेती पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया है. प्रगतिशील किसान मधु हांसदा फूलों की खेती हेतु प्रशिक्षण प्राप्त हैं.
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मेडिसिन, एरोमैटिक एवं डेयरी टेक्नोलॉजी का भी लिया है प्रशिक्षण
मधु बताते हैं कि जिला उद्यान पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी के निरंतर मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन से उन्हें संरक्षित फूलों की खेती में आगे बढ़ने के लिए काफी बल मिला. इससे पूर्व वे अपने खेतों में पारंपरिक विधि से धान की खेती किया करते थे जिससे कुछ विशेष आय नहीं होने पर इन्होने फूलों की खेती की ओर रूख किया. जिला उद्यान विभाग की ओर से वर्ष 2019-20 में शेडनेट प्राप्त कर जरबेरा की फूलों की खेती प्रारम्भ की थी. इसके अलावा मधु ने मेडिसिन, एरोमैटिक और डेयरी टेक्नोलॉजी का भी प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं. वे अपने खेतों में सिंचाई हेतु ड्रीप इरीगेशन विधि का प्रयोग कर जरबेरा फूल का उत्पादन करते हैं. मधु बताते हैं कि इस विधि से सिंचाई करने पर एक ओर जहां पानी की बचत होती है, वहीं पौधों को भी पानी से प्राप्त होने वाले आवश्यक पोषण मिल जाता है.
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प्रत्येक सप्ताह लगभग 10 हजार रूपए की आमदनी
मधु हांसदा के शेडनेट से प्रति सप्ताह 2000 फूल का फिलहाल उत्पादन हो रहा है. जिसे 4-5 रूपये प्रति फूल की दर से बाजार में विक्रय करते हैं. मधु बताते हैं कि फूलों की खेती से लगभग 10,000/- प्रति सप्ताह का मुनाफा हो जाता है, जिससे इनके परिवार की आर्थिक स्थिति में पूर्व की अपेक्षा बहुत सुधार हुआ है. मधु ने जिले के किसानों से अपील करते हुए कहा कि पारंपरिक खेती के अतिरिक्त किसानों को खेती-किसानी से आय के दूसरे मार्गों को भी अपनाना चाहिए. जिसमें फूलों की खेती भी एक उपयुक्त माध्यम है. उन्होंने कहा कि जिला उद्यान पदाधिकारी द्वारा इस संबंध में समय-समय पर आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त होता है. इससे इच्छुक किसान आगे आकर फूलों की खेती तथा अन्य प्रगतिशील खेती कार्य को अपना सकते हैं.
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