New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के आखिरी प्रयास में शामिल नहीं हो पाने वाले छात्रों की उन्हें एक और मौका दिए जाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दी.
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याचिका को खारिज कर दिया
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ ने यूपीएससी सिविल सेवा के अभ्यर्थियों की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया. जिसमें उन्होंने वैश्विक महामारी के कारण अक्टूबर 2020 में सिविल सेवा परीक्षा का आखिरी अवसर गंवाने वाले छात्रों को एक और मौका दिए जाने का अनुरोध किया गया था. इन अभ्यर्थियों ने याचिका में महामारी के कारण परीक्षा की तैयारियों में मुश्किलों का हवाला दिया था.
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दूसरे उम्मीदवारों के साथ भेदभाव होगा
केन्द्र ने नौ फरवरी को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह अपना आखिरी मौका गंवाने वाले छात्रों को एक बार उम्र सीमा में छूट के खिलाफ है. ऐसे छात्रों को इस साल एक और मौका देने से दूसरे उम्मीदवारों के साथ भेदभाव होगा.
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केन्द्र शुरुआत से अतिरिक्त मौका देने के पक्ष में नहीं था
सामान्य श्रेणी के छात्र 32 साल की उम्र तक छह बार यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दे सकते हैं. वहीं ओबीसी श्रेणी के छात्र 35 साल की उम्र तक नौ बार और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र 37 साल की उम्र तक जितनी बार चाहे उतनी बार परीक्षा दे सकते हैं. केन्द्र शुरुआत में अतिरिक्त मौका देने के पक्ष में नहीं था, लेकिन बाद में उसने पीठ के सुझाव पर ऐसा किया.
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छात्रों को इस साल एक और मौका मिलेगा
उसने पांच फरवरी को कहा कि 2020 में परीक्षा के अपने आखिरी अवसर का इस्तेमाल करने वाले छात्रों को इस साल एक और मौका मिलेगा. बशर्ते वे आयुसीमा की शर्त को पूरा करते हों. पीठ ने हालांकि बुधवार को रचना और अन्य की याचिका खारिज कर दी.
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विस्तृत जानकारी न्यायालय को दी थी
सुनवाई के दौरान केन्द्र ने देश में सिविल सेवा परीक्षा शुरू होने के बाद से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा दी गई छूट के संबंध में विस्तृत जानकारी न्यायालय को दी थी और बताया कि वर्ष 1979, 1992 और 2015 में परीक्षा पैटर्न में बदलाव के कारण अभ्यर्थियों को छूट दी गई थी.
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परीक्षा टालने से इनकार कर दिया था
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 30 सितम्बर को देश के कई इलाकों में बाढ़ और कोविड-19 महामारी की वजह से यूपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा टालने का अनुरोध स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया था.
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