NewDelhi : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से भारतीय जनता पार्टी खुश हो सकती है. बता दें कि कोर्ट ने चुनाव कैंपेन में जय श्री राम के नारे के इस्तेमाल के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि धार्मिक नारे का इस्तेमाल जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध है.
इन प्रावधानों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार या चुनाव प्रक्रिया से जुड़े किसी शख्स को धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के नाम पर भावनाएं भड़काने की इजाजत नहीं है.
याचिका में गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का भी नाम लिया गया था और मांग की गयी थी कि सीबीआई उनके खिलाफ केस दर्ज करे. साथ ही राजनीति्क पार्टी को धार्मिक नारे के इस्तेमाल से रोकने की मांग की गयी थी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अगुआई में तीन जजों की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने को कहा.
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पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने के फैसले पर सवाल
सीजेआई के साथ जस्टिस एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने कहा, इस स्थिति में, धर्म के नाम पर वोट मांगने पर, एकमात्र उपाय चुनाव याचिका से हाई कोर्ट जाना है. याचिका में पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले पर भी सवाल उठाया गया था. शर्मा ने याचिका में कहा कि दूसरे राज्यों में एक फेज में ही चुनाव हो रहा है जबकि बंगाल में 8 फेज में चुनाव कराया जा रहा है, जबकि यह किसी आतंकी हमले का सामना नहीं कर रहा है ना ही अशांत क्षेत्र है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है.
जब शर्मा ने इस बिंदु पर बहस करना चाहा, तो पीठ ने कहा, हमने आपकी पूरी याचिका पढ़ ली है. हम इसे नहीं सुनेंगे.याचिका खारिज की जाती है. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए, लेकिन उन्हें कोई दलील देने की आवश्यकता नहीं पड़ी. एक अन्य केस में भाजपा की डेरबा से उम्मीदवार पूर्व आईपीएस ऑफिसर भारती घोष के खिलाफ जारी अरेस्ट वारंट पर स्टे लगा दिया.
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हाईकोर्ट जाने की इजाजत मांगी
याचिका खारिज होने के बाद मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र कर इसे सुनवाई करने वाली पीठ के समक्ष पेश करने का अनुरोध किया गया है. वकील शर्मा ने पत्र में लिखा है कि सुनवाई के दौरान वह फैसले का सही पैराग्राफ पढ़ते वक्त भ्रमित हो गये थे. इससे नाराज होकर कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिग से हो रही सुनवाई में उनका कनेक्शन काट दिया गया था. इसलिए वह आगे बात नहीं रख पाये. याचिका खारिज करने के पहले कोर्ट ने उनसे हाई कोर्ट जाने को कहा था. मामला बहुत गंभीर है. इसलिए उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाजत मिले.
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