NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि उस वादी से पांच लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाये, जिसने तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देते हुए 2017 में एक प्रायोजित याचिका दायर की थी. बता दें कि स्वामी ओम और मुकेश जैन ने 2017 में भारत के निवर्तमान चीफ जस्टिस की तरफ से अपने उत्तराधिकारी का नाम राष्ट्रपति के पास अनुशंसा के रूप में भेजे जाने की प्रथा पर सवाल उठाये थे.
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खुद को भगवान कहने वाले स्वामी ओम का निधन हो गया
हालांकि इस साल फरवरी में खुद को भगवान कहने वाले स्वामी ओम का निधन हो गया. इसे देखते हुए कोर्ट ने जुर्माने की रकम आधी कर दी. इससे पहले यह रकम 10 लाख रुपये थी, जिसे कोर्ट ने 2017 के आदेश में भुगतान के लिए निश्चित किया था. स्वामी ओम के निधन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दूसरे याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये की रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है.
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10 लाख जमा कराने का निर्देश दिया था.
2017 में मामले की सुनवाई करने वाली बेंच की अगुवाई CJI जगदीश सिंह खेहर कर रहे थे जिसमें जस्टिस धनंजय वाइ चंद्रचूड़ भी थे. उन्होंने याचिका लोकप्रियता पाने का स्टंट करार देते हुए खारिज कर दी थी और दोनों से 10 लाख रुपये की रकम जमा कराने का निर्देश दिया था.
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जैन एक अन्य मामले में ओडिशा के बालासोर जेल में बंद हैं
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने जुर्माना कम करने के जैन के आवेदन का संज्ञान लिया. जैन फिलहाल एक अन्य मामले में ओडिशा के बालासोर जेल में बंद हैं. पीठ ने कहा कि सक्षम प्राधिकार जैन की बची जमीन से जुर्माने की रकम वसूल सकता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बेंच के समक्ष पेश होने के लिए एक सप्ताह का समय दिया.
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