Lagatar Desk : सुप्रीम कोर्ट ने गत 13 दिसंबर को एक फैसला दिया है, जिससे इनफोर्समेंट डाइरेक्टोरेट (ईडी) को झटका लगा है और जिसकी चर्चा नहीं हुई. अब यह आदेश सामने आया है. आदेश के मुताबिक, अगर ईडी किसी व्यक्ति के पास से इलेक्ट्रॉनिक सामग्री जब्त करती है, लैपटॉप व मोबाइल जब्त करती है, तो उसकी सामग्री को कॉपी नहीं कर सकती. किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकते. हालांकि केंद्रीय एजेंसी की तरफ से अदालत अदालत को यह बताया गया है कि केंद्रीय एजेंसियां सीबीआई के डिजिटल एविडेंस-2020 के गाइडलाइन को फॉलो करती है.
सुप्रीम कोर्ट ने लॉटरी किंग सेंटियागो मार्टिन के मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ कर रही थी. पीठ ने कहा कि इससे किसी भी व्यक्ति के संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन होता है. उल्लेखनीय है कि ईडी की जांच में लैपटॉप या मोबाइल जब्त करने के बाद उसमें उपलब्ध सभी सामग्री की कॉपी कर लेती थी. जिसकी वजह से लोगों के अधिकारों का उल्लंघन होता था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईडी द्वारा गिरफ्तार एक आरोपी को जमानत देते हुए यह भी कहा था कि किसी को अनंतकाल तक गिरफ्तार करके जेल में नहीं रख सकते. जांच एजेंसी अगर तय समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं करती है, तो क्या आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि ईडी के काम करने के तरीकों की वजह से अदालतें लगातार टिप्पणियां कर रही हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था- शायद जिस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया, उसमें वह आरोपी ही नहीं हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाले में संजय सिंह और मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कई बार यह पूछा था कि मनी ट्रेल कहां है. सांसद संजय सिंह को जमानत देते वक्त तो ईडी ने जमानत का विरोध तक नहीं किया था.
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