Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में हेमेंद्रनाथ टैगोर की जमीन की जमाबंदी रद्द करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले के प्रतिवादी और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. इस मामले में सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजेन्द्र कृष्ण ने अदालत को बताया कि हेमेंद्रनाथ टैगोर की जमीन की कागजात में फर्जीवाड़ा किया गया है.
वर्ष 1909 और 1929 में उक्त जमीन की खरीदारी की गई. इसके बाद वर्ष 1932 के खतियान में प्रार्थी के दादा का नाम दर्ज था. उस दौरान भी उक्त जमीन का लगान प्रार्थी के परिवार वाले ही दे रहे थे. जमीदारी प्रथा समाप्त होने के बाद से वर्ष 2012 तक इसी परिवार ने जमीन का लगान जमा किया.
इसे भी पढ़ें- अफगानिस्तान : तालिबान के बदले अंदाज, लोगों को दी आम माफी, कहा, सरकार में शामिल हों महिलाएं, टीवी पर महिला न्यूज एंकर भी मंजूर
इस बीच खतियान में छेड़छाड़ करते हुए उक्त जमीन पर दूसरे व्यक्ति ने अपना दावा किया. इसी मामले में डीसीएलआर ने उक्त जमीन पर प्रार्थी की जमाबंदी को रद्द कर दिया है. नियमानुसार डीसीएलआर को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. इस संबंध में हाईकोर्ट ने पूर्व में आदेश भी पारित किये हैं. वहीं, यह मामला जब सिविल कोर्ट में आया था तो उस दौरान पूरे मामले की जांच कराई गई.
जांच में पता चला कि उक्त जमीन के कागजात के साथ छेड़छाड़ की गई है. इसलिए डीसीएलआर के आदेश को निरस्त किया जाये. सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में प्रतिवादी और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
इसे भी पढ़ें- PMAY-G: राज्य के 11 जिलों में 2868 आवास की स्वीकृति है लंबित, साहिबगंज में सबसे ज्यादा 825 पेंडिंग