Ranchi : राजधानी में क्लास रूम जाने के लिए शिक्षकों ने दिया धरना और कहा कि सभी चीजें पटरी पर, फिर स्कूल बंद क्यों। शनिवार को राजभवन के सामने यह धरना नेशनल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन रांची की ओर से दिया गया. एसोसिएशन ने राज्य के सभी स्कूलों को खोलने की मांग रखी. धरना की अध्यक्षता नेप्सा के अध्यक्ष प्रसाद सिंह ने की. पूरे कार्यक्रम का संचालन नेप्सा के सचिव शैलवाहन कुमार ने किया. आपको बता दें, पिछले 20 मार्च से राज्य के सभी विद्यालय बंद है. कुछ दिनों पहले सिर्फ 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय खोली गयी है. शिक्षकों ने धरना में कहा कि स्कूल बंद होने की वजह से उनका आर्थिक जीवन चरमरा गया है और साथ ही बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं, जिनसे उनका भविष्य अंधकार में होते जा रहा है.
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शिक्षकों ने कहा, कई घरों में एंड्रॉयड फोन नहीं
शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण-सुदूर क्षेत्र में जो बच्चे हैं, उन्हें शिक्षा सही से मिल नहीं पा रही है, कितने ऐसे घर परिवार है, जिनके यहां एंड्रॉयड फोन की सुविधा नहीं है, वैसे बच्चे शिक्षा से एक साल से दूर हैं, कई ऐसे घर हैं, जहां एंड्रॉयड फोन तो है लेकिन नेटवर्क की सुविधा नहीं है और ना ही नेट पैक डलवाने के लिए पैसा है। क्योंकि कई ऐसे घर हैं, जहां इस कोरोना काल में उनका रोजगार भी छिन गया है. उन्होंने कहा विद्यालयों में ऑनलाइन क्लास की सुविधा दी गई है, जो पूर्ण रूप से कारगार साबित नहीं हुई है.
आपको बता दें कि छोटे-छोटे निजी विद्यालय जो शहरी क्षेत्र और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे हैं, इन विद्यालयों में गरीब परिवार के बच्चे पढ़ने आते हैं, जिनको एंड्रॉयड मोबाइल खरीदने की क्षमता नहीं होती. धरना स्थल पर उपस्थित गैर मान्यता प्राप्त स्कूल के संचालक और प्राचार्य और शिक्षकों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष अक्षय प्रसाद सिंह ने कहा कि वैश्विक आपदा कोरोना के कारण स्कूल पिछले 10 महीनों से बंद है, जिनमें बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बंद है, उनका भविष्य अंधकार में होते जा रहा.
गांवों में इंटरनेट की भी सुविधा नहीं
वहीं रंजीत कुमार खत्री और एनके झा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास एंड्रॉयड मोबाइल खरीदने की क्षमता नहीं है, जिनके पास मोबाइल है, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट नहीं है, जिससे पढ़ाई संभव नहीं है. सुषमा केरकेट्टा ने कहा कि कोरोना का कहर काफी धीमा हो गया है. हाट, बाजार, मॉल, सिनेमा, रैली, जुलूस आदि सामान्य हो गया, परंतु स्कूलों को बंद रखना सही नहीं है. उन्होंने कहा, सरकार ने जब राज्य में सारी चीजें सामान्य कर दी है, फिर स्कूलों को क्यों बंद करके रखा हुआ है. हमारा आर्थिक जीवन भी पूरी तरह से डगमगा चुका है. 10 महीने से स्कूल बंद होना हमारे आर्थिक जीवन पर और बच्चों के जीवन दोनों पर ही बहुत ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
संजय प्रसाद ने कहा कि स्कूल बंद होने से सिर्फ बच्चे ही प्रभावित नहीं हुए हैं बल्कि में स्टेशनरी दुकान, खोमचे, समोसे वाले, कोचिंग क्लासेस प्रभावित हुए हैं. शैलवाहन कुमार ने कहा कि सरकार स्कूल खोल कर बच्चों का भविष्य संवारने का काम करें. अरविंद कुमार ने कहा, छोटे-छोटे विद्यालयों के संचालकों, शिक्षकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी है. उनका घर चलाना मुश्किल हो रहा है.
आपको बता दें कि पिछले 20 मार्च से स्कूल बंद है और इन शिक्षकों का कहना है कि पिछले 10 महीनों में उन्होंने बच्चों से कोई फीस नहीं ली है. उनकी सरकार से मांग है कि जब स्कूल खोले जाएंगे तो उनके घर में भी पैसे आएंगे और उनका आर्थिक जीवन फिर से पटरी पर आएगा. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे जो पिछले 10 महीने से शिक्षा से दूर हैं, उन्हें भी शिक्षा मिलेगी और वह पढ़कर भविष्य उज्ज्वल कर सकेंगे.
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