Jamshedpur (Vishwajeet Bhatt): देवघर में प्रधानमंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में मंगलवार को नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के जल्द निर्माण की घोषणा की तब से एक नई उम्मीद जगी है. जिस जोश-ओ-खरोश के साथ पिछली रघुवर दास की सरकार में धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट निमार्ण की शुरुआत की गई थी, उनकी सरकार जाने के बाद से ही इस महत्वाकांक्षी परियोजना को एक के बाद एक ग्रहण लगता जा रहा है. सबसे बड़ा ग्रहण है वन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र न देना और न ही स्थानीय अधिकारियों की ओर से इस मामले में कुछ भी खुलकर बताना.
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2019 में किया गया था भूमि पूजन
पिछली सरकार में 24 जनवरी 2019 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा एवं सांसद विद्युत वरण महतो ने बड़े तामझाम के साथ धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया था. तब कहा गया था कि एयरपोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं. बहुत जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. लेकिन अब तक एयरपोर्ट का निर्माण शुरू नहीं हुआ. एयरपोर्ट के नाम पर एक ईंट तक की जुड़ाई नहीं हो पाई है.
2021 में ही पूरा होना था निर्माण
धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद सर्वे का काम पूरा कर लिया गया. जमीन चिह्नित कर ली गई. कहा गया कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम अंतिम बार सर्वे करने के बाद इसे हरी झंडी दे देगी. 2021 तक इसका काम पूरा हो जाएगा. इसके बाद वहां से उड़ानें भी शुरू हो जाएंगी.
421 एकड़ में फैली है धालभूमगढ़ हवाई पट्टी
सर्वे सेटेलमेंट में हवाई पट्टी दर्शाई नहीं गई है, लेकिन भौतिक रूप से हवाई पट्टी लगभग 421 एकड़ में है. यह रनवे अंग्रेजी के एफ की तर्ज पर बनाया गया है. यह वन भूमि देवशोल के 342 एकड़, कोकपाड़ा-नरसिंहगढ़ में 43 एकड़, बुरूडीह में 10 एकड़, चारचक्का में 12 एकड़ कुल 421 एकड़ में फैली है.
चिन्हित जमीन में 239 एकड़ वनभूमि
दरअसल, एयरपोर्ट निर्माण के लिए जो जमीन चिन्हित की गई है, उसमें से 239 एकड़ जमीन वनभूमि है. वन विभाग एक बार इसके लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र दे चुका है, लेकिन जब दोबारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वन विभाग से नये सिरे से अनापत्ति प्रमाण पत्र देने को कहा तभी से चारों ओर चुप्पी है. कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं हो रही है. जबकि सीओ से अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख किया है कि एयरपोर्ट के निर्माण में न तो एक भी आदमी की जमीन अधिग्रहित की जाएगी और न ही एक भी मकान टूटेगा. एयरपोर्ट की एप्रोच रोड भी सरकार की है. इधर, जिला प्रशासन को एयरपोर्ट निर्माण के लिये आस-पास के पांच गांवों में ग्रामीणों के साथ ग्रामसभा करानी थी, लेकिन आज तक मात्र दो गांवों में ही ग्रामसभा हो पाई है. बाकी तीन गांवों में कब होगी, यह बताने वाला कोई नहीं है.
एलीफेंट कॉरिडोर का पेंच
फिलहाल जो स्थिति है उसमें एयरपोर्ट का सपना साकार होना मुश्किल लग रहा है. इस मामले में कई प्रकार के पेंच सामने आ रहे हैं. चर्चा है कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय कमेटी ने धालभूमगढ़ को एलीफेंट कॉरिडोर का क्षेत्र बताते हुए एयरपोर्ट निर्माण पर आपत्ति जताई है. वन विभाग ने अब तक क्लीयरेंस नहीं दिया है. एयरपोर्ट निर्माण के लिये गम्हरिया के पास भी एक जमीन चिन्हित की गई थी. जहां टाटा स्टील को एयरपोर्ट का निर्माण करना था. लेकिन इस इलाके में पर्याप्त जमीन न मिलने और आस-पास हाईटेंशन तार आदि गुजरने के कारण यहां एयरपोर्ट निर्माण का विचार त्याग दिया गया.
बहुत सुनहरा है मंत्रालय का सपना
तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के ब्लूप्रिंट के मुताबिक, जमशेदपुर से जुड़े धालभूमगढ़ एयरपोर्ट को कुछ इस तरह तैयार किया जाएगा कि इसके जरिए देश-विदेश को झारखंड समेत पूरे पूर्वी भारत से जोड़ा जा सके. प्रस्तावित एयरपोर्ट से बंगाल, ओड़िशा और झारखंड के लोगों का आसानी से जुड़ाव हो सकेगा. भारत सरकार की सोच है कि चूंकि बंगाल का एयरपोर्ट भी अब सेचुरेशन प्वाइंट तक पहुंच चुका है, इस कारण उसको बढ़ाने के बजाय धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का ही बेहतर इस्तेमाल कर इसे बढ़ाया जाए. इधर, ओड़िशा और रांची के एयरपोर्ट का रनवे छोटा है, इस कारण धालभूमगढ़ रनवे को करीब 3.5 किलोमीटर तक ले जाने की तैयारी है. यह देश के बड़े रनवे में से एक होगा ताकि अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं यहां से सहज संचालित हो सकें. यही वजह है कि जहां घरेलू विमानों के लिये सिर्फ 500 से 600 एकड़ जमीन की जरूरत होती है, वहीं यहां करीब एक हजार एकड़ जमीन की तलाश की गई.
सांसद को भरोसा धालभूमगढ़ एयरपोर्ट जरूर बनेगा
जमीन की प्रकृति, जमीन की जरूरत से लेकर हर छोटे-बड़े सवाल पर धालभूमगढ़ के सीओ ने दर्जनों बार रिपोर्ट बनाकर जिला मुख्यालय को भेजी. इसके बावजूद अभी तक कहीं कुछ नहीं हुआ. डीएफओ जमशेदपुर ममता कुमारी से जब इस मामले में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ इन्कार कर दिया. यहां तक कि उन्होंने इन्कार का कोई कारण भी नहीं बताया. दूसरी ओर, दर-दर जाकर एयरपोर्ट निर्माण के लिए अपनी अर्जी लगाने वाले सांसद विद्युत वरण महतो कहते हैं कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट जरूर बनेगा.
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