Ranchi: रांची सिविल कोर्ट की रौनक फिर से वापस लौटने लगी है. पिछले लगभग डेढ़ महीने के बाद लगभग बेपटरी हुई व्यवस्था मंगलवार से पटरी पर लौटने लगी है. खुद को कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से न्यायिक कार्यों से दूर रखने वाले अधिवक्ता एक बार फिर कोरोना के इस गहन संकट के बीच न्यायिक कार्यों में हिस्सा लेने लगे हैं. रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता शुक्रवार से अपने पक्षकारों के लिए वर्चुअल माध्यम से कोर्ट के समक्ष बहस और जिरह करते हुए दिखें.
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सभी अधिवक्ताओं से खुद को महफूज रखते हुए न्यायिक कार्यों में दोबारा शामिल हो
रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभू अग्रवाल ने रांची के सभी अधिवक्ताओं से खुद को महफूज रखते हुए न्यायिक कार्यों में दोबारा शामिल होने की अपील की है. ताकि वकीलों के बीच संक्रमण का खतरा भी न हो और लोगों को न्याय दिलाने में अधिवक्ता अपनी भूमिका भी निभा सकें. जानकारी के मुताबिक सिर्फ रांची बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से इस पूरे लॉकडाउन के दौरान लगभग 700 से 800 विचाराधीन कैदियों के वकालतनामा साइन होकर आये हैं जिनकी फाईलिंग अगले एक दो दिनों में होगी.
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अदालत परिसर में शारीरिक रूप से कम से कम जाना पड़े
आरडीबीए के पूर्व महासचिव और बार काउंसिल के सदस्य संजय विद्रोही ने सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों से आग्रह किया है कि अधिवक्ता यह कोशिश करें कि उन्हें अदालत परिसर में शारीरिक रूप से कम से कम जाना पड़े, राज्य सरकार एवं स्टेट बार काउंसिल के द्वारा जारी किये गए गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करते हुए अधिवक्ता न्यायिक कार्यों का निष्पादन करें. सिविल कोर्ट परिसर में बेवजह भीड़ ना लगाएं. ज्ञात हो कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड स्टेट बार काउंसिल और राज्य के विभिन्न जिला बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए न्यायिक कार्यों से कुछ दिनों तक दूर रखने का फैसला लिया था. अब उस निर्णय की अवधि समाप्त हो चली है और एक बार फिर जिलों की कचहरी में थोड़ी रौनक वापस लौटी है.वकीलों के न्यायिक कार्य से दूर रहने के निर्णय के कारण जिला न्यायालय में पेंडिंग केसेज की संख्या थोड़ी बढ़ी है.
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