Apoorv Bhardwaj
Lagatar desk – लगातार बहुत से चुनाव बुरी तरह हारने के बाद भी कांग्रेस हार का आत्म विश्लेषण करने में असफल रही है. गांधी परिवार को न चाहते हुए भी उसका नेतृत्व करना पड़ रहा है. अब सब जगह एक ही सवाल है. क्या कांग्रेस वाकई खत्म हो गई है? तो मेरा जवाब है बिलकुल नहीं. लेकिन कांग्रेस क्यों नहीं जीत पायी.
वर्ष 2019 के आम चुनाव हारने के बाद प्रियंका गांधी ने कहा था कि उनके भाई को उन्हीं के लोगों ने धोखा दिया है. राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया, लेकिन उनके बनाये गये एक भी मुख्यमंत्री ने पद नही छोड़ा. कमलनाथ, अशोक गहलोत ने अपने बच्चों के लिए टिकट मांगा और एक हारा और दूसरा बड़ी मुश्किल से जीता. राहुल ने विधानसभा चुनावों में इन सब के लिए जी तोड़ मेहनत की. लेकिन इन पुराने घाघ नेताओं ने उसका एक प्रतिशत भी वर्ष 2019 में नहीं दिया और राहुल को नीचा दिखाया.
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राहुल के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद राहुल की टीम के हर आदमी को एक-एक करके दरकिनार करा जा रहा है. सिंधिया, सचिन, जतिन प्रसाद, मुकुल वासनिक, मिलिंद देवड़ा और दीपेन्द्र हुड्डा अब पार्टी में हाशिये पर है. उनकी जगह बिना जनाधार या चुके हुए नेता आज डिसीजन मेकर्स है.
पार्टी केवल टीवी स्टूडियो और ट्विटर पर लड़ती हुई दिख रही है. लेकिन जमीन पर लड़ने वाले जीतू पटवारी जैसे नेताओं को भी नेतृत्व देने से कतरा रही है. जगन रेड्डी, ममता बैनर्जी जैसी बड़ी गलती कांग्रेस कर चुकी है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस इन सब से क्यों नही सिख रही है. अब कांग्रेस को क्या करना चाहिए ?
कांग्रेस को अपनी सबसे सशक्त नेता इंदिरा गांधी से सीखना चाहिए. कैसे उन्होंने वर्ष 1970 में इंदिरा कांग्रेस बनायी और नई युवा कांग्रेस के साथ 71 का चुनाव लड़ा और 352 से ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास बना दिया. जमीन पर लड़ने वाली कांग्रेस इंदिरा को कैसे भूल गयी. जो वर्ष 1977 कि शर्मनाक हार के बाद घुटनों तक के कीचड़ में नंगे पाव दलितों की बस्ती में पहुंचकर बिहार का माहौल बदल देती थी. आंदोलन की जमीन से जन्मी कांग्रेस जमीन से ही जुदा हो गयी है.
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वर्ष 2019 के चुनाव के दौरान मुझसे बहुत से मित्र कहते थे. चलो माना मोदी ने बहुत गलत काम किए है. आप हमें उससे अच्छा विकल्प बता दीजिए हम उसको वोट दे देंगे. मेरा जवाब हमेशा एक ही होता था. कांग्रेस को इंदिरा या शास्त्री जी जैसा धर्मनिरपेक्ष सच्चा राष्ट्रवादी नेता चाहिए. जो इन नकली राष्ट्रवादी और निरंकुशवादियों को उनकी भाषा में जवाब दे सके. लेकिन कांग्रेस इन नकली लोगों से लड़ने के बजाय आपस मे लड़ने लगी और यह सिलसिला अभी भी जारी है.
अगर कांग्रेस को इस देश और अपनी पार्टी को बचाना है तो युवाओं को मौका देना होगा. उन्हें इंदिरा मॉडल पर यूपी चुनाव लड़ना पड़ेगा. अगर ब्रांड मोदी को कोई हरा सकता है वो केवल ब्रांड इंदिरा. क्योंकि असल हमेशा नकल पर भारी पड़ती है.
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डिस्क्ल्मर : ये लेखक के निजी विचार है