Ranchi: पाकुड़ के रेंजर अनिल कुमार सिंह मुश्किल में हैं. उन्हें वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से शो-कॉज किया गया है. पूछा गया है कि क्यों नहीं समय से पहले ही आपको रिटायरमेंट दे दी जाये. विभाग ने रेंजर अनिल सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि आपके मामले में सरकार की तरफ से समीक्षा की गयी है.
समीक्षा में पाया गया कि आपने सरकारी सेवा में रहते हुए सरकार के ही खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की. ऐसा करना अनियमितता और अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है. विभाग ने अनिल सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए दो सदस्यों की समिति बनायी थी. जांच समिति ने अनिल सिंह के खिलाफ कुछ अनुशंसाएं की हैं.
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दो मामलों में पहले भी दंडित हो चुके हैं अनिल सिंह
समिति की अनुशंसा में कहा गया है है कि अनिल सिंह को पहले भी दो मामले में दंडित किया गया है. फिर भी उनके आचरण में किसी तरह का सुधार नहीं देखा गया. यह सही नहीं है. ऐसे में अनिल सिंह के सरकारी सेवा में बने रहने पर प्रश्न खड़ा होता है. ऐसे में कार्मिक विभाग की नियमों के मुताबिक अनिल सिंह को रिटायरमेंट देने पर विचार किया जा सकता है. विभाग ने इसी आधार पर अनिल सिंह से शो कॉज कर पूछा है कि एक महीने के अंदर जवाब दें कि आखिर उनकी सेवा क्यों नहीं समाप्त कर दी जाये.
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रेंजर ने सरकार के खिलाफ किया था पीआईएल
पाकुड़ में वन प्रमंडल पदाधिकारी का पदस्थापन नहीं होने पर वहां के रेंजर अनिल कुमार सिंह ने सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कि डीएफओ नहीं होने से मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है. कोरोना के दौरान काम करनेवाले दैनिक मजदूरों का पैसा दशहरा में भी बकाया रह गया. कंप्यूटर ऑपरेटर को भी पैसा नहीं मिल रहा है. सरकारी वाहनों में तेल डालने के लिए भी पैसा नहीं था. इस कारण औचक निरीक्षण नहीं हो पाया. अवैध कारोबारियों पर नजर नहीं रखी जा सकी.
इसकी सूचना विभाग को देने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर श्री सिंह ने झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी थी. इसमें उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तथा पीसीसीएफ को भी पार्टी बनाया है.
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