Patna: बिहार में प्रारंभिक विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों की जांच के लिए 19 अफसरों की टीम बनायी गई है. जो विभिन्न जिलों के लिए रवाना कर दी गई हैं. इन टीमों को 21 अगस्त तक विद्यालयों की जांच रिपोर्ट देनी है. जिसकी समीक्षा के बाद विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों में तेजी लाने संबंधी निर्देश जारी किए जाएंगे. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि पहली से 8वीं कक्षा तक के स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों की जांच जरूरी है. बिहार में कोरोना संक्रमण के कारण इन स्कूलों में करीब 134 दिनों के बाद शिक्षण कार्य शुरू हुआ है. पिछले डेढ़ साल से इन स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था बुरी तरह बाधित हुई है.
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अधिकारियों को दिया गया जांच का जिम्मा
वैशाली में बिहार राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक श्रीकांत शास्त्री, बेगूसराय में अपर राज्य परियोजना निदेशक सुनयना कुमारी, रोहतास में अपर राज्य परियोजना निदेशक रविशंकर सिंह, पटना में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी लालिमा एवं कार्यपालक अभियंता विजय कुमार तरुण, नालंदा में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रश्मि रेखा एवं उदय कुमार उज्जवल, नवादा में अपर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी प्रभात किशोर एवं शंभू प्रसाद, भोजपुर में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी मो. इमत्याज आलम एवं सुनील कुमार, सारण में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज कुमार एवं जितेंद्र कुमार पासवान, समस्तीपुर में भोला प्रसाद सिंह एवं मो.शाहिद मोबिन, मुजफ्फरपुर में मो.असगर अली एवं शशि भूषण राय विद्यालयों में जाकर शैक्षणिक गतिविधियों, आधारभूत संरचना निर्माण की प्रगति और अग्रिम राशि के विरुद्ध समायोजन का अनुश्रवण करेंगे.
व्यवस्था को पटरी पर लाने की होगा प्रयास
दरअसल, बिहार के प्राथमिक स्कूलों में मोटे तौर पर देखें तो डेढ़ साल के बाद पढ़ाई शुरू हो रही है. इस साल की शुरुआत में थोड़े दिनों के लिए स्कूल खुले थे, लेकिन संक्रमण की रफ्तार बढ़ते ही दोबारा कक्षाओं को स्थगित करना पड़ा. अब सरकार चाहती है कि पूरी व्यवस्था को इस तरह बनाया जाए ताकि बच्चों को हुए नुकसान की भरपाई हो सके. लिहाजा बिहार सरकार ने शिक्षा व्यवस्था की सेहत में सुधार के लिए प्रयास शुरू किया है.
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