Kolkata : भारत के संविधान का एजेंट हूं, मैं कमांड कहीं से नहीं लेता. यह विचार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के हैं. यहां होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राज्यपाल ने कहा कि बंगाल में डर का माहौल है. कहा कि वे पश्चिम बंगाल की जनता को नाउम्मीद नहीं करेंगे. यहां पर निष्पक्ष चुनाव होंगे. लोकतंत्र निश्चित रूप से आयेगा. उन्होंने यह भी कहा कि मैंने खून के घूंट पीये हैं.
बता दें कि जगदीप धनखड़ आजतक की सीधी बात में बोल रहे थे. किसी सरकार के साथ काम करने के सवाल पर कहा कि राज्यपाल की भूमिका सरकार के साथ खड़े रहने की होती है. राज्यपाल का दायित्व है कि संविधान की रक्षा और जनता की सेवा करे.
इस क्रम में राज्यपाल ने कहा कि भारत के संविधान का एजेंट हूं, मैं कमांड कहीं से नहीं लेता. हमेशा संविधान के दायरे में काम करता हूं. मैं संविधान से आदेश लेता हूं. बंगाल में लोकतंत्र का अभाव है. मैं टकराव नहीं सुधार के लिए मुद्दे उठाता हूं. बंगाल के 70 लाख किसानों को किसान निधि के तहत पैसा क्यों नहीं मिला.
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गृह मंत्रालय को हर महीने पत्र लिखता हूं
यह पूछे जाने पर कि गृह मंत्री अमित शाह को राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार को हटाने को लेकर पत्र क्यों नहीं लिखते, उन्होंने कहा कि मैं हर महीने केंद्र को पत्र लिखता हूं. लेकिन आपको नहीं बताऊंगा कि क्या लिखा. गृह मंत्रालय को हर महीने पत्र लिखता हूं, संविधान के दायरे में केंद्र को रिपोर्ट देता हूं.
राज्य सरकार के साथ व्यवहार को लेकर राज्यपाल ने जगदीप धनखड़ ने कहा, संविधान दिवस के दिन विधानसभा में सबसे पहला स्पीकर कौन (राज्यपाल) होना चाहिए. लेकिन मेरा नंबर 6 था. खून के घूंट पीये हैं. मेरा काम टकराव और टक्कर देना नहीं है. मेरा काम सुधार करना है. उन्होंने कहा, मैं हर्ट फील नहीं कर रहा. सुधार चाहता हूं. पश्चिम बंगाल डिजर्व करता है कि नंबर वन हो. अगर कोई मुद्दा उठाता हूं कि आलोचना के लिए नहीं है बल्कि सुधार के लिए.
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यहां पर पुलिस ब्यूरोक्रेसी है
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं बंगाल में सुधार चाहता हूं. उन्होंने यह भी कह कि बंगाल का राज्यपाल होना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है. मेरा कोई काम सीक्रेट नहीं है. मैं राज्य के सभी लोगों से मिलता हूं. टीएमसी के लोग नहीं मिलते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि उनसे संपर्क में नहीं हूं. मैं सबसे मिलता हूं. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि यहां ब्यूरोक्रेसी नहीं है. यहां पर पुलिस ब्यूरोक्रेसी है. जो सही नहीं है. लोग कभी रिटायर नहीं होते.
सरकारी कर्मचारी राजनीतिक कार्य़कर्ता बन गये हैं.
सरकारी कर्मचारी सरकार से तनख्वाह ले रहे हैं और काम कर रहे हैं सत्तारुढ़ पार्टी का, इस सवाल पर राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि काम नहीं फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं. सरकारी धन, सरकारी दफ्तर, सरकारी पद, राजनीति के लिए. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी राजनीतिक कार्य़कर्ता बन गये हैं.
बंगाल की मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के सवाल पर राज्यपाल ने कहा, ‘मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखे. ट्विटर पर लिखने से पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिखता हूं. संविधान कहता है कि जिसका दायित्व है अगर वह नहीं करेगा तो कौन करेगा. कहा कि राज्य में मानवाधिकार का उल्लंघन चरम पर है. मानवाधिकार चेयरमैन रिटायर्ड चीफ जस्टिस है मुझे सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि मेरा कमीशन आईसीयू में हैं, वेटिंलेटर पर है.