- सम्मानजनक आजीविका के साधनों से जुड़ खुशहाल जीवन जीने की ओर अग्रसर महिलाएं
- अभियान से जुड़ कर पलामू प्रमंडल में 1700 से अधिक महिलाओं ने अपनाया आजीविका का वैकल्पिक साधन
- चिन्हित महिलाओं को आजीविका संवर्द्धन के लिए मिल रहा ब्याज मुक्त ऋण
Sanjit Yadav
Palamu : राज्य की महिलाओं को सशक्त, समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. इसके लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसका सीधा लाभ लक्षित समूह को मिल रहा है. ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए आजीविका संवर्द्धन हुनर अभियान, फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के साथ-साथ महिलाओं को सखी मंडलों से जोड़ कर सरकार द्वारा आजीविका के नए स्रोत उत्पन्न करने में मदद की जा रही है. सरकार की फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से महिलाएं सम्मानजनक जीवन जीने लगी हैं. पलामू प्रमंडल में हड़िया-दारू के निर्माण एवं बिक्री से मजबूरन जुड़ी करीब 1770 महिलाओं ने फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़ कर आजीविका के वैकल्पिक साधनों को अपनाया है. पलामू जिले में 424 महिलाओं ने आजीविका के वैकल्पिक साधन को अपनाया है. वहीं लातेहार जिले में 965 एवं गढ़वा जिले में 381 महिलाएं फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़ी हैं. इससे न केवल महिलाओं की इज्जत बढ़ी है, बल्कि उनके परिवारजनों का भी मान-सम्मान बढ़ा है. हड़िया-दारू बेचने के धंधे को छोड़ चुकीं महिलाएं पलामू प्रमंडल के तीनों जिले यथा पलामू, गढ़वा एवं लातेहार के विभिन्न गांव-पंचायत एवं प्रखंडों की हैं. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से महिलाओं की दिशा एवं दशा दोनों बदल रही है. इस कारोबार को छोड़ चुकी महिलाएं अब इसे समाज की कुरीति भी समझने लगी हैं.
हड़िया दारू बेचने से कर लिया तौबा
महिलाओं ने बताया कि हड़िया-दारू के निर्माण एवं बिक्री से उन्हें भी परेशानी होती थी और परिवार के अन्य सदस्य भी प्रभावित होते थे. खासकर बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर दिखता था. स्नेही-बंधु लोग जब घर आते, तो लज्जित भी होना पड़ता था. आर्थिक कमियों के कारण मजबूरन ऐसे कारोबार से जुड़े थे, लेकिन इसे छोड़ने एवं आजीविका के वैकल्पिक साधन अपनाने से अब गांव-समाज में आत्मसम्मान बढ़ा है. घर-परिवार के सदस्य भी सुरक्षित महसूस करने लगे हैं. महिलाओं ने सखी मंडल से जुड़ कर आजीविका के विभिन्न साधनों को अपनाया है और आर्थिक आमदनी कर रही हैं. आजीविका के नए स्रोत उत्पन्न करने में सरकार से मदद भी मिल रही है. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत महिलाओं को सखी मंडलों से जोड़ कर चिन्हित महिलाओं को आजीविका संवर्द्धन के लिए 10 हजार का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. इस अभियान से जुड़ कर महिलाओं ने रोजगार के विभिन्न साधनों को अपनाया है. कोई श्रृंगार दुकान, चाय-पकौड़ी, समौसा दुकान, अंड़ा-आमलेट दुकान का संचालन कर रही हैं, तो कई महिलाएं पशुपालन, बकरी पालन, मुर्गी एवं बत्तख पालन तथा कृषि कार्य से जुड़ कर अपनी आजीविका चलाने में जुटी हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से महिलाएं समाज में बेहतर कर रही हैं. इसे और गति देने का कार्य हो रहा है.
एक ही गांव की 20 महिलाओं ने छोड़ी हड़िया-दारू की बिक्री
पलामू के मेदिनीनगर सदर प्रखंड के झाबर पंचायत के पीढ़िया गांव में 400 से अधिक घर है. आबादी भी अच्छी-खासी. बताया गया कि अधिसंख्य परिवार उरांव समाज के हैं. एक समय यहां बहुतायत मात्रा में हड़िया-दारू मिल जाती थी. इसका सेवन कर लोग दिन में भी लुढ़कते-चलते थे. व्यंग्य व हंसी-मजाक भी वैसे ही चलती थी, कि महिलाओं को सिर उठा कर चलने में परेशानी होती थी. यहां की महिलाओं ने इस स्थिति को बदलने की ठानी और अब स्थिति बदलने भी लगी है. महिलाओं ने जब आजीविका के दूसरे साधनों का अपनाया, तो इसका असर उनके परिवार व समाज पर भी पड़ने लगा है. करीब 20 महिलाओं ने हड़िया-दारू के निर्माण एवं बिक्री कार्य को पूर्णतः छोड़ कर आजीविका के दूसरे साधनों को अपनाया है. इन महिलाओं को सम्मानजनक जीवन के लिए प्रेरित कर रहे जेएसएलपीएस के सामुदायिक समन्वयक प्रभात रंजन पांडेय ने बताया कि एक ही गांव में 20 से अधिक महिलाओं द्वारा शराब निर्माण एवं बिक्री कार्य को छोड़ना बड़ी बात है. गांव की आरती देवी, पार्वती देवी, मंजू देवी, जसमतिया देवी, रेवंती देवी, सुगन्ती देवी, सोनी देवी, सकुंता देवी, ललिता देवी, रीता देवी, लखपति देवी, झिलो देवी, विगनी देवी आदि महिलाओं ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से आत्मनिर्भर हुई हैं. अन्य महिलाओं को भी अभियान से जोड़ कर आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
अभियान से जुड़ कर आत्मनिर्भर बनें महिलाएं: आयुक्त
आयुक्त मनोज जायसवाल ने कहा कि सड़कों पर महिलाएं हड़िया-दारू बेचती नहीं दिखें, इसके लिए प्रशासनिक प्रयास किए जा रहे हैं. हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री करने वाली महिलाओं को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत आजीविका से जोड़ कर हर संभव मदद कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम हो रहा है. इस कार्य से जुड़ी अन्य महिलाओं से अपील है कि वे फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़ कर आत्मनिर्भर बनें. आर्थिक रूप से सशक्त हों और बेहतर समाज निर्माण में भागीदार बनें. कुरीतियों से निकल कर मन में सम्मानजनक जीवन जीने की चाहत विकसित करें.
क्या कहती है महिलाएं
लाभुक-1 : सोनी देवी पलामू के पीढ़िया गांव में ही श्रृंगार दुकान चलाती है. दुकान के सामने के खाली स्थानों में अंडा-आमलेट की दुकान की है. इन दुकानों से प्रतिदिन 250 से 300 रुपए की आमदनी होती है. आमदनी से बच्चों को पढ़ाती हैं और परिवार चलाती हैं. उन्होंने बताया कि वे मां शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से उन्हें 10 हजार रुपए का ब्याज मुक्त ऋण मिला. इस राशि से दुकान का सामान खरीदी और बेहतर आमदनी कर सम्मानजनक जीवन जी रही हैं. इस कार्य की आमजन सराहना भी करते हैं और घर-द्वार में भी शांति रहती है.
लाभुक-2 : सकुंता देवी गरीबी और आर्थिक तंगहाली से जूझ रही थीं. पूर्व में अपनाए रोजगार के साधनों के संबंध में कहने में भी हिचक होती है. गोदावरी स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर रोजगार के वैकल्कि साधनों को अपनाने का प्रयास किया. सरकार से 10 हजार रुपये का ऋण प्राप्त होने के बाद बकरी पालन का कार्य शुरू किया. तीन बकरियों से 8 बकरी हो गईं. इसमें तीन बकरियों को 10 हजार रुपए में बेच भी दिया. वर्तमान में पांच स्वस्थ बकरियां हैं, जिससे 20 से 30 हजार आमदनी होने की उम्मीद है.
लाभुक-3 : पार्वती देवी पूर्व में हड़िया-दारू बेच कर जीवन-बसर करती थीं. यमुना मिलन स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं. सरकार द्वारा फूलो झानो आशीर्वाद अभियान की शुरुआत होने से उन्हें 10 हजार रुपए का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया गया. इस राशि से मुर्गा-मीट की दुकान चलाती हैं. साथ में एक छोटा सा किराना दुकान भी है. दुकान से प्राप्त राशि से घर-परिवार की परवरिश में मदद मिल रही है. साथ ही इस व्यवसाय से आत्मसम्मान भी मिला है.
लाभुक-4 : मंजू देवी ज्योति समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर हुई हैं. पूर्व में मंजू हड़िया-दारू निर्माण एवं उसकी बिक्री से आमदनी करती थीं, लेकिन झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के अधिकारीगणों एवं समूह की दीदियों से प्रेरित होकर हड़िया-दारू के व्यवसाय को बंद कर दिया. 10 हजार रुपए ऋण मिला. उस राशि से सब्जी खरीद कर बेचती हैं, जिससे अच्छा मुनाफा होता है. समाज के लोग भी इस कार्य की सराहना करते हैं.