Ranchi: राज्य में मापतौल नियंत्रक का पद पिछले 10 साल से अधिक समय से प्रभार में चल रहा है. इसके अलावा नियंत्रक पद से तीन पद जूनियर एक ही अधिकारी पिछले 10 से ज्यादा वर्ष से इस पद पर काबिज हैं. सरकारी राजस्व और उपभोक्ताओं के हित से सीधे जुड़े इस प्रभाग में भ्रष्टाचार, शिकायतों और अनियमितताओं का अंबार है, लेकिन इसकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है.
अपने साथ ज्वाइन करनेवाले चार अफसरों के बॉस हैं चौधरी
मापतौल विभाग, जिसे तकनीकी भाषा में विधिक माप विज्ञान विभाग भी कहते हैं, झारखंड में खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मातहत है. यहां सहायक नियंत्रक कृष्णचंद्र चौधरी पिछले 10 से ज्यादा समय से नियंत्रक पद के प्रभार में हैं. विभाग पर उनकी पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चौधरी अपने कैडर के तीन अन्य अधिकारियों को सुपरसीड कर तीन पद ऊपर का प्रभार संभाले हुए हैं.
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चौधरी की नियुक्ति 1997 में अविभाजित बिहार के समय में हुई थी. उनके साथ चार अन्य अधिकारियों बसंती तिर्की, मीरकासिम अंसार, राजकुमार प्रसाद और संजय भगत की नियुक्ति भी सहायक नियंत्रक पद पर हुई, लेकिन जोड़तोड़ में माहिर चौधरी और अपने चार सहकर्मियों के बॉस बने बैठे हैं.
अन्य राज्यों में IAS और IPS को मिला है नियंत्रक का प्रभार
ऐसा भी नहीं है कि मापतौल नियंत्रक का पद कोई कैडर पोस्ट है. दूसरे राज्यों में आइएएस, आइपीएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यह पद संभाल रहे है, लेकिन झारखंड में एक कनीय अधिकारी को राज्य का प्रमुख बना दिया गया है. लगातार… ने जब अन्य राज्यों के बारे में पड़ताल की, तो पता चला कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और आंध्रप्रदेश में मापतौल नियंत्रक का पद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संभाल रहे हैं. तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों को नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया है. और पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पास मापतौल नियंत्रक का पद है.
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उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा का जिम्मा है विभाग के पास
देश में बुनियादी उपभोक्ता आंदोलन को गति देने के लिए एक विशिष्ट विभाग की आवश्यकता के दृष्टिकोण से, जून 1997 में केंद्र सरकार के एक अलग विभाग के रूप में इसका गठन किया गया था. इसके जिम्मे प्रमुख कार्य हैं, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम तथा बाट और माप मानकों का कार्यान्वयन, पैकबंद वस्तुओं का विनियमन एवं परीक्षणशाला. देश के सभी राज्यों में यह विभाग कार्यरत है, लेकिन झारखंड में इस विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरे तक पैठी हुई हैं.