Ranchi: रांची स्मार्ट सिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम दिसंबर तक कंप्लीट हो जाएगा. लेकिन अबतक जमीन नीलामी की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पायी है. स्मार्ट सिटी की 656 एकड़ भूमि में से सिर्फ 58 एकड़ जमीन की ही नीलामी हुई है. अभी भी ओपन लैंड स्पेस को छोड़कर 317 एकड़ भूमि की नीलामी बाकी है. अगले महीने बची भूमि की नीलामी की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इस बार भी बचे हुए सभी प्लॉट की नीलामी की संभावना कम दिख रही है. दरअसल जमीन आवंटन की कड़ी शर्तों और हर प्लॉट के ऑक्शन में तीन बीडर्स की शर्त के कारण जमीन आवंटन की प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है.
मार्च में स्मार्ट सिटी के 51 प्लॉट के लिए निवेशकों को आमंत्रित किया गया था. जमीन खरीदने के लिए 400 बीडर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें से 71 निवेशकों ने .01 फीसदी रजिस्ट्रेशन फीस जमा किया था और ऑक्शन के समय 31 बीडर मौजूद थे. लेकिन सिर्फ 9 प्लॉट के लिए तीन-तीन बीडर्स मिले. इस वजह से सिर्फ 9 ही प्लॉट की नीलामी हुई.
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अबतक जमा नहीं हुई नीलामी की पहली किस्त
वहीं जिन कंपनियों ने 9 प्लॉट के लिए बोली लगाई है, अबतक जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम नहीं हो सकी है, क्योंकि अबतक बोली लगाने वाली कंपनियों ने राशि जमा नहीं की है. मार्च में जमीन की बोली लगाने के बाद तीन महीने में 40 फीसदी और फिर अगले 9 महीने में 60 फीसदी राशि कंपनियों को जमा करनी है. यानी एक साल में जमीन का पूरा पेमेंट करने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम किया जा सकता है. जमीन रजिस्ट्री होने के बाद ही वहां कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो सकता है. स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने बोली लगाने वाले बीडर्स को पेमेंट जमा करने के लिए लेटर भेजा है.
कठिन शर्तों के कारण नहीं आ रहे इन्वेस्टर
स्मार्ट सिटी में जमीन लेने के लिए बने टर्म और कंडीशन की जटिलता के कारण शैक्षणिक, मेडिकल और व्यवसायिक क्षेत्र में काम करने वाले निवेशक यहां इन्वेस्ट नहीं कर पा रहे हैं. नियम के मुताबिक, इन्वेस्टर जिस प्लॉट की बोली लगाएगा. उस प्लॉट के क्षेत्रफल के कम से कम 25 फीसदी एरिया में कंस्ट्रक्शन करने का उसके पास अनुभव होना जरूरी है. अगर निवेशक इस शर्त को पूरा कर भी लेता है तो वो नीलामी के वक्त तीन बीडर्स होने के कारण जमीन लेने से वंचित हो जाता है.
कम कीमत पर जमीन देने पर भी स्कूल-अस्पताल खोलने नहीं आ रहे निवेशक
स्मार्ट सिटी में सबसे अधिक कीमत पर व्यावसायिक और सबसे कम पर शैक्षणिक-मेडिकल संस्थाओं के लिए जमीन देने की योजना है. व्यावसायिक जमीन का बेस प्राइस सबसे अधिक 13.60 लाख रुपए प्रति डिसमिल और आवासीय जमीन की कीमत करीब 7 लाख रुपए प्रति डिसमिल रखा गया है. कम कीमत के बावजूद इंस्टीट्यूशनल और मेडिकल यूनिट खोलने के लिए निवेशक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. नगर विकास विभाग ने दिल्ली समेत कई शहरों में समिट कर इन्वेस्टर्स को आमंत्रित किया. लेकिन दूसरे राज्यों के उद्यपतियों ने पहले चरण की चरण की नीलामी में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोलने के लिए जमीन खरीदने के लिए आवेदन नहीं दिया.
अबतक सिर्फ 58.38 एकड़ भूमि की हुई नीलामी
स्मार्ट सिटी में इंस्टीट्यूशनल उपयोग के 11 प्लॉट में 66.78 एकड़ चिन्हित किये गये हैं. वहीं रेजिडेंशियल उपयोग के लिए 06 प्लॉट के 52.19 एकड़ जमीन चिन्हित है. कमर्शियल उपयोग के लिए 16 प्लॉट की 66.78 एकड़ भूमि है. पब्लिक और सेमी पब्लिक यूज के लिए 2 प्लॉट में 25 एकड़ और मिक्स्ड यूज के लिए 17 प्लॉट की 67.87 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है. पहले फेज में आवासीय उपयोग के चिन्हित पूरी 52.19 एकड़ भूमि की नीलामी पूरी हो चुकी है. वहीं मिक्स्ड यूज के लिए चिन्हित 6.19 एकड़ की नीलामी हो चुकी है.
फर्स्ट फेज में इन प्लॉट्स की लगी थी बोली
प्लॉट क्षेत्रफल(एकड़ में) कंपनी आवासीय 5.47 मल्टी रेजीडेंसी इंफ्रा प्रोजेक्टस लिमिटेड आवासीय 5 मानिक राम एक्सेल आवासीय 11.57, चलाइस रियल इस्टेट आवासीय 11, बिग रिलेटर्स आवासीय 11.65, चलाइस रियल इस्टेट आवासीय 7.5 ,बिग रिलेटर्स जीवी मिक्स यूज 2.16, चलाइस रियल इस्टेट मिक्स यूज 1.9, मल्टी रेजीडेंसी इंफ्रा प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड मिक्स यूज 2.13 मानिक राम एक्सेल की बोली लगी थी.
रांची स्मार्ट सिटी में प्रस्तावित सुविधाएं
656 एकड़ जमीन में बस रही ग्रीन फील्ड स्मार्ट सिटी का 37 फीसद क्षेत्र ओपन स्पेस है. यहां रोड, ड्रेनेज, पार्क, सीवरेज और पौधारोपण का काम 60 फीसदी हो चुका है. जलापूर्ति के लिए 12 एमएलडी वाटर सप्लाई की डेडिकेटेड पाइपलाइन, जलाशय और धुर्वा डैम स्थित वाटर फिल्टर सेंटर में एक अतिरिक्त फिल्टर बेड का निर्माण कराया गया है. नौ मीटर से लेकर 45 मीटर तक चौड़ी सड़कें बन रही हैं. घर से निकलने वाले ड्रेन वाटर के ट्रीटमेंट की व्यवस्था की गई है.
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