Ranchi : लंबे समय से राज्य के चिकित्सक मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे थे. इस विधेयक को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मंजूरी दे दी है. शुक्रवार को आयोजित एक निजी अस्पताल के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इससे जुड़ी फाइल पर अनुमति दे दी गई है. अब विधानसभा से मंजूरी के साथ इस प्रस्तावित प्रावधान को लागू कर दिया जाएगा. लेकिन एमपीए विधेयक में प्रवर समिति ने सजा के प्रावधान के अलावे भी अन्य प्रावधानों में संशोधन किया है. जिससे रांची आईएमए के सदस्य नाखुश है. वहीं रांची के नागरिक मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के साथ पेशेंट प्रोटक्शन बिल की भी मांग कर रहे हैं.
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एमपीए में प्रवर समिति द्वारा किए गए संशोधन ने एक्ट को बनाया दंत हीन- डॉ अजीत
रांची आईएमए के ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ अजीत कुमार ने कहा कि राज्य में चिकित्सकों की कमी का प्रमुख कारण यहां के चिकित्सक अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं. जिस वजह से यहां मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग जोरशोर से उठी, लेकिन एमपीए में प्रवर समिति के द्वारा किए गए संशोधन ने एक्ट को दंत हीन-विष हीन बना दिया है. उन्होंने कहा कि एक्ट पर एक बार फिर सरकार को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.
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पेशेंट प्रोटक्शन बिल की उठी मांग
वही रांची के नागरिक और स्वास्थ्य सेवाओं पर काम करने वाले अतुल गेरा ने ट्वीट के जरिए राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से सवाल किया है कि क्या राज्य में मरीजों की सुरक्षा के लिए पेशेंट प्रोटेक्शन बिल लाया जाएगा?. ऐसा नहीं होने पर मरीज पैसे वाले स्वास्थ्य व्यवस्था का शिकार बन जाएंगे. उन्होंने सवाल किया है कि क्या हम मरीजों और उनके अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं?
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प्रवर समिति की रिपोर्ट में हुए है ये संशोधन
- मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में प्रवर समिति ने सजा के प्रावधान को कम कर दिया है.
- चिकित्सकों व चिकित्सा कर्मियों से मारपीट करना और चिकित्सा संस्थानों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अब गैर जमानतीय अपराध नहीं होगा.
- समिति ने आरोप सिद्ध होने पर दोषी को नुकसान हुई संपत्ति की दोगुनी राशि चुकानी होगी के प्रावधान से दोगुनी शब्द हटाने की अनुशंसा की है. इससे अब नुकसान हुई संपत्ति की ही भरपाई करनी होगी.
- वही 3 साल की सजा के प्रावधान को घटाकर 18 माह कर दिया गया है. इसमें 50 हजार के जुर्माने के प्रावधान को बरकरार रखा गया है.
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