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- प्रकाश विप्लव, राज्य सचिव , माकपा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा एचईसी को झारखंड का गौरव बताते हुए इसे बचाने के लिए राज्य के सांसदों के साथ केंद्र सरकार के पास इस मामले को ले जाने की बात कही गयी थी. केंद्र सरकार और भारी उद्योग मंत्रालय को एचईसी की वर्तमान स्थिति के बारे में अच्छी तरह पता है और एचईसी को इस स्थिति तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ही पूरी तरह जिम्मेवार है.
मार्च 2017, जिस दौरान एचईसी मुनाफा कमा रहा था, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम के केंद्रीय राज्य मंत्री बाबू सुप्रियो ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि उनके विभाग ने एचईसी के आधुनिकीकरण सह पुनरूद्धार का प्लान तैयार किया है. इस प्लान के मुताबिक एचईसी के उपकरणों का आधुनिकीकरण होना था. नीति आयोग, वित्त मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय और झारखंड सरकार के साथ भी इस विषय में विमर्श हुआ था.
इसी बीच में विशेषज्ञों की समिति ने, जो डॉ वीके सारस्वत, सदस्य नीति आयोग के नेतृत्व में 2016 में गठित हुई थी और जिसका काम आधुनिकीकरण का तकनीकी पक्ष तय करके बताना था, ने 2017 की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के पहले फेज की अनुसंशाओं को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मार्च 2017 में शामिल किया गया. स्टैंडिंग कमिटी रिपोर्ट (292), जो पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन इंडस्ट्री द्वारा संसद में 2018 में पेश हुआ, में स्पष्ट रूप से कहा था कि 2005 से 2008 के बीच में एचईसी को जो पुनरूद्धार पैकेज दिया गया था, उसके कारण एचईसी ने 2012-13 तक लगातार मुनाफा कमाया था, जबकि यह पैकेज एचईसी के आधुनिकीकरण में इस्तेमाल न हो कर मुख्यतः कर चुकाने और वित्तीय रिस्ट्रक्चरिंग प्लान में हुआ.
उस रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि एचईसी की तात्कालिक वित्तीय स्थिति केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय की दूरदर्शिता की कमी के कारण थी, जिसमें आधुनिकीकरण की जगह कर चुकाने में उपरोक्त पैकेज खर्च किया गया. उसी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट था कि केंद्रीय भारी उद्योग विभाग, जो एचईसी का एडमिनिस्ट्रेटिव हेड था, एचईसी की बदहाली की जिम्मेदारी से खुद को मुक्त नहीं कर सकता.
स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में सारस्वत कमेटी की अनुसंशाओं, जिनमें आधुनिकीकरण प्रमुख था, को पूरी प्राथमिकता देने का भी अनुशंसा थी. लेकिन उस पर बाद में कोई निर्णय नहीं लिया गया. दिसंबर 2020 में अपनी 302वीं रिपोर्ट में भारी उद्योग से संबंधित पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने भारी उद्योग मंत्रालय को सारस्वत कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने में ढुलमुल रवैये की आलोचना की और एचईसी का पुनरुद्धार करने में नकारात्मक भूमिका पर अपनी नाराजगी स्पष्ट रूप से जाहिर की थी. साथ ही प्राथमिकता पर एचईसी के पुनरुद्धार कार्यक्रम को पूरा करने की हिदायत दी.
मार्च 2023 में 321वीं पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट में भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत एचईसी को लॉस मेकिंग सार्वजनिक क्षेत्र उद्योग घोषित कर दिया गयी. कमेटी ने एचईसी के पुनरुद्धार की अनुशंसा भी की. जरूरत पड़ने पर उसके लिए अलग से फंड देने का आवाहन भी किया. वीके सारस्वत कमेटी की अनुशंसाओं, विभिन्न पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसाओं, मजदूर और ऑफिसर्स के अनेक प्रतिवेदनों को ताक पर रखकर भाजपा नीत केंद्र सरकार आज एचईसी के नाम पर मगरमच्छ के आंसू बहा रही है.
121 ऑफिसर्स द्वारा मानव अधिकार आयोग को कई महीनों से सैलरी नहीं मिलने के कारण त्राहिमाम संदेश भेजा गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया है. पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट के अनुसार भी हर महीने 10 तारीख को वेतन मिलना अनिवार्य है. लेकिन खुद केंद्र सरकार ही इसका खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही है और उसके सांसद मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं.
कोयला उद्योग, स्टील उद्योग, रेल, भेल, रक्षा, अंतरिक्ष, न्यूक्लियर जैसे संवेदनशील उद्योगों को उपकरण आपूर्ति करने वाली देश निर्माता मातृ उद्योग एचईसी की उपयोगिता आज भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए समाप्त हो गई है. वह इसे येन केन प्रकारेण बंद करने पर आमादा है और बंद करके इसे अपने मित्र परिवार को औने पौने दाम में सौंपने की तैयारी में है. यह खेल अब सबको समझ में आ चुका है और एचईसी के साथ रांची, झारखंड और देश की जनता अब इनके झांसे में नहीं आने वाली है.
एचईसी एक पूंजीगत सामान उत्पादक उद्योग है, कोई फूड प्रोसेसिंग कंपनी नहीं है. इसीलिए इसमें सतत सरकारी निवेश की जरूरत है. पिछले 5 सालों से स्थाई सीएमडी नहीं नियुक्त करके, बैंक गारंटी वापस लेकर और मजदूरों का 20 महीने से वेतन न देकर भाजपा नीत केंद्र सरकार ने एचईसी को बंद करने की अपनी मंशा साफ कर दी है.
14 सितंबर की विशाल रैली और महाधरना, जिसमें एचईसी कर्मी, वहां के दुकानदार, सिविल सोसाइटी और वामदल समेत इंडिया गठबंधन के सभी घटक दल शामिल थे, ने भी संकल्प लिया है कि वे एचईसी को बंद नहीं होने देंगे. इस ललकार से घबरा कर ही भाजपा के सांसद नौटंकी कर रहे हैं.
नोट : यह लेखक के अपने विचार हैं.
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