हजारीबाग की आवोहवा के मुरीद हुए कई लोग
लौट कर आने की लगाते रहते हैं जुगाड़, जीवन भर के लिए बस गए सेवानिवृत्त होने के बाद
Amarnath Pathak/Pramod Upadhyay
Hazaribagh: हजारीबाग की आवोहवा ही ऐसी है कि जो भी लोग यहां आए मिट्टी के मुरीद हो गए. अगर नौकरी पेशा वाले लोग हैं और उनका कहीं अन्यत्र तबादला हो जाता है, तो उन्हें हजारीबाग शहर छूटने का गम सताता रहता है. यहां की रहन-सहन, खान-पान और उससे भी अधिक अमनपसंद लोगों का आचरण लोगों के मन में इस कदर घर बना लेता है कि किसी प्रकार वह फिर से यहां लौट कर आने की जुगाड़ में रहते हैं. ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जो बाहर से यहां नौकरी करने तो आए और फिर जीवनभर के लिए यहीं के होकर रह गए. लोगों को यहां का रमणीक स्थल, शांत वातावरण, आमजनों का आचरण, रहन-सहन, खान-पान, पठन-पाठन के लिए बेहतर संस्थान, आपसी सौहार्द, पर्व-त्योहार आदि इस कदर भा गया कि यहां से जाने की फिर इच्छा नहीं हुई. छोटे-मोटे क्राइम छोड़ दिए जाएं, तो अन्य शहरों की तुलना में यहां अपराध काफी कम है. लोग रात में भी अकेले शहर में आ-जा सकते हैं. लड़कियां मस्ती से स्कूल-कॉलेज, सिनेमा, मॉल-मार्ट आदि घूम सकती हैं. कहीं से किसी प्रकार का भय का वातावरण नहीं है. परिवार संग लोग कनहरी हिल, तो झील, वन्यप्राणी अभयारण्य, पार्क आदि घूम सकते हैं. उससे भी बड़ी बात कि यहां के लोग काफी सहयोगी हैं. जरूरत पड़ने पर लोग एक-दूसरे की मदद के लिए हर पल तत्पर रहते हैं.
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लगता है अपनों का शहर, मौसम भी लाजवाब : हरिवंश नारायण सिंह
केस-1 : स्वास्थ्य विभाग में प्रशिक्षक रहे बिहार वैशाली के रहनेवाले हरिवंश नारायण सिंह अस्सी के दशक में हजारीबाग आए थे. लंबे समय तक यहीं नौकरी की और फिर डेढ़ दशक पहले सेवानिवृत्त हो गए. फिर बेटे के साथ दिल्ली चले गए. बाद में उन्हें हजारीबाग की याद सताने लगी. आखिरकार पत्नी के साथ वह हजारीबाग लौट आए. वह कहते हैं कि यहां के लोग बड़े अच्छे हैं और मौसम भी लाजवाब है. यही सोचकर वर्ष 2005 में यहां रामनगर स्थित जगदीश कॉलोनी में घर बना लिया था. यहां अपनों का शहर लगता है और विशेष लगाव हो गया.
यह शांत शहर है और लोगों के बीच आपसी सौहार्द बहुत है : संजय सिंह
केस-2 : पटना निवासी डीवीसी के अपर लेखा मुख्य अधिकारी सह प्रबंधक वित्त रहे संजय सिंह वर्ष 1988 में हजारीबाग आए. यहां की मिट्टी में वह इस कदर रच-बस गए कि वर्ष 2009 में हीराबाग खरीद लिया. बीच में तबादला भी हुआ, लेकिन हजारीबाग का लगाव उन्हें फिर यहीं खींच लाया. यहीं से पिछले साल रिटायर्ड भी हुए और अब ज्योतिष विद्या की गणना के लिए भवानी प्लाजा में कार्यालय भी खोल लिया. वह कहते हैं कि अन्य शहरों की तुलना में यहां अपराध का आंकड़ा कामी कम है. यह शांत शहर है और लोगों के बीच आपसी सौहार्द बहुत है. इसलिए यहां ही बस गया. शिक्षा का माहौल, मौसम, खान-पान बहुत सुंदर है.
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यहां की मिट्टी में साहित्य और संस्कार रचा बसा है : रंजन चौधरी
केस-3 : हजारीबाग विधायक के मीडिया प्रभारी रंजन चौधरी कहते हैं कि यहां के मौसम की खूबसूरती ने मन मोह लिया. पढ़ाई-लिखाई के लिए बेहतर संस्थान है. यहां के लोग भोले-भाले हैं. उससे भी बढ़कर यहां की मिट्टी में साहित्य और संस्कार रचा बसा है. एक वक्त था जब हजारीबाग को बिहार का शिमला कहा जाता था. बिहार के राज्यपाल गर्मी में यहां छुट्टियां बिताने आते थे. प्रकृति की गोद में बसा हजारीबाग वास्तव में हजार बागों का शहर है. इस शहर को छोड़कर जाने का मन नहीं करता. वह वर्ष 2006 में बोकारो के चंदनक्यारी से हजारीबाग आए. पहली बार कोई शहर देखा, जो दिल से भा गया और फिर यहां से नहीं गए. यहीं काम पकड़ लिए.