Lagatar Desk
क्या आपको मेन स्ट्रीम मीडिया ने यह खबर दी कि कल यानी 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार पर गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने कहा है कि आप चारों तरफ से भ्रष्टाचार से डूबे हुए हैं. आप बिल्डरों से मिले हुए हैं. आप जिस तरह की दलील दे रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि आप ही प्रमोटर (बिल्डर) हैं. आप घर खरीदने वालों के खिलाफ खड़े नहीं हो सकते. अदालत ने सुनवाई के दौरान मौजूद अधिकारी ने कहा कि आपके आंख, कान और नाक से भ्रष्टाचार टपकता है और आप घर खरीदने वालों में कमियां ढ़ूंढ़ने में लगे हैं.
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मेन स्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को दबा दिया
मेन स्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को पूरी तरह दबा दी है. यह खबर सुपरटेक बिल्डर से जुड़ी है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने सुपरटेक बिल्डर से जुड़ी याचिका के सिलसिले में नोएडा प्राधिकरण को आड़े हाथों लिया है. लेकिन मीडिया से खबर गायब है.
दरअसल, नोएडा प्राधिकरण उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास विभाग के दायरे में आता है. जिसके मंत्री सतीश महाना है ओर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी हैं.
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उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी उन्हें योजना सौंपी
शीर्ष अदालत सुपरटेक लिमिटेड की अपील और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के आदेश के खिलाफ या उसके खिलाफ घर खरीदारों द्वारा दायर अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नियमों का उल्लंघन करने के लिए जुड़वां टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था.
पीठ ने नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा, “यह अधिकारों का चौंकाने वाला इस्तेमाल है. आप (नोएडा प्राधिकरण) न केवल मिलकर काम कर रहे हैं बल्कि सुपरटेक के साथ साठगांठ कर रखी है. जब घर खरीदारों ने एक स्वीकृत योजना के लिए कहा, तो आपने सुपरटेक को लिखा कि आपको दस्तावेज देना चाहिए या नहीं और इनकार करने पर आपने उन्हें योजना देने से इनकार कर दिया.
पीठ ने कहा, “उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से आपको यह निर्देश दिए जाने के बाद ही आपने उन्हें योजना सौंपी. आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं.”
पीठ ने नोएडा प्राधिकरण की ओर से पेश अधिवक्ता रवींद्र कुमार से कहा, “अधिकारी होने के नाते, आपको सुपरटेक के कृत्यों का बचाव करने के बजाय एक तटस्थ रुख अपनाना चाहिए. आप किसी भी प्रमोटर के लिए एक निजी स्टैंड नहीं ले सकते.”
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