- मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की संविधान निर्माण में भूमिका विषय पर सेमिनार सह-वेबीनार का आयोजन
- डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में हुआ आयोजन
Soniya Jasmin
Ranchi: मोराहाबादी स्थित डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में मंगलवार को सेमिनार सह-वेबीनार का आयोजन किया गया. “मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की संविधान निर्माण में भूमिका” विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकार हरिराम मीणा ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा आदिवासियों की आवाज थे. आज भी उनके विचार काफी प्रासंगिक हैं. उन्होंने न सिर्फ झारखंड आंदोलन को एक स्थायी रूप दिया, बल्कि संविधान सभा में भी पूरे देश के आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करते हुए उनके हक के लिए संविधान में व्यवस्था करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जयपाल सिंह मुंडा ने ही यह कहा था कि आदिवासी समाज में ही सबसे अधिक प्रजातांत्रिक व्यवस्था का उदाहरण है, जिसे अन्य लोगों को भी अनुशरण करना चाहिए. इस समाज में चाहे वह अमीर हो या गरीब, सबको समान अधिकार प्राप्त है.
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प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन से जुड़े साहित्यकार अश्विनी पंकज ने कहा कि मरंग गोमके पूरे भारतवर्ष के आदिवासियों की बात करते थे. आज हम जिस भारत की बात करते है, वह जयपाल सिंह की परिकल्पना पर आधारित नही है. संत जेवियर्स कॉलेज मास कम्यूनिकेशन डिर्पाटमेंट के एचओडी डॉ. संतोष किड़ो ने कहा कि आज जयपाल सिंह के चिंतन और दर्शन पर बात होनी चाहिए. विदेश में पढ़ने के बाद भी वे अपनी वास्तविकता और मातृभाषा को जानते थे. उन्होंने विश्वविद्यालय के कोर्स में जयपाल सिंह मुंडा के जीवन दर्शन को शामिल करने की वकालत की. इतिहास विभाग जेएनयू से जुड़े सागर तिवारी ने कहा कि जयपाल सिंह एक समय आदिवासियों के बुलंद आवाज के रूप में उभरे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक रणेंद्र कुमार व संचालन उपनिदेशक चिंटू दोराई बुरु ने की.
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इस मौके पर पूर्व विधायक जेपी गुप्ता, टीएसी के पूर्व सदस्य पीसी मुर्मू, रतन तिर्की के अलावा मरंग गोमके के पुत्र जयंत जयपाल सिंह मुंडा, प्रभाकर तिर्की, महेंद्र पीटर तिग्गा योगेंद प्रसाद, सुषमा बिरुली, दीपा मिंज, अंजु साहू, महादेव टोप्पो, डॉ. सावित्री बड़ाईक, नदीम खान सहित कई लोग मौजूद थे.