Ranchi : रघुवर सरकार में ठगे गये बेरोजगार युवा क्या अब हेमंत के राज में भी ठगे जायेंगे. यह सवाल इसलिए है क्योंकि जेएमएम ने अपने चुनावी घोषणापत्र में एक साल में 5 लाख झारखंडी युवाओं को नौकरी और बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. मार्च महीना खत्म होने वाला है. 2 लाख युवाओं को भी नौकरी नहीं मिली है. अब वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले हेमंत सरकार ने नया दांव खेल दिया है.
सरकारी नौकरियों का वादा पूरा नहीं हुआ, तो प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव ला दिया. हालांकि राहत की बात ये है कि भले ही सरकार नौकरी देने का वादा पूरा नहीं कर पाई, लेकिन पूर्व की रघुवर सरकार की तरह फर्जी नौकरियां बांटने का स्टंट भी नहीं किया. इस सरकार ने नियुक्तियों को लेकर अबतक पूरी पारदर्शिता बरती है.
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रघुवर राज में हुआ था बड़ा नौकरी घोटाला
इससे पहले रही रघुवर सरकार ने भी युवाओं बेरोजगारों के साथ कम मजाक नहीं किया था. रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी गयी थीं. हर हफ्ते रघुवर दास नौकरियां बांटते थे. 35 लाख युवाओं को नौकरी देने का दावा कर चुके थे. बाद में पता चला कि आंकड़ों में हेराफेरी कर सरकार इसे अपनी उपलब्धि बता रही थी. जबकि प्रदेश के युवा नौकरियों के नाम पर ठगे जा चुके थे. 15 नवंबर 2018 को स्किल समिट में रघुवर दास सरकार ने 26 हजार 674 युवाओं को ऑफर लेटर दिया था. इसके बाद 2019 में ग्लोबल स्किल समिट में 1 लाख 6 हजार युवाओं का ऑफर लेटर मिले थे. बाद में हकीकत सामने आयी कि गलत तरीके से ऑफर लेटर बांटे गये. जिन युवाओं के नाम पर ऑफर लेटर बने थे, उनमें से आधे से अधिक नंबर और एड्रेस गलत थे.
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नौकरियां मिल रही थीं, लेकिन करना नहीं चाहते थे युवा
सीधे शब्दों में कहें तो रघुवर राज में झारखंड में बहुत बड़ा नौकरी घोटाला हुआ. युवाओं को सुनहरे सपने दिखाकर निराशा की ओर धकेला गया. मोमेंटम झारखंड, ग्लोबल स्किल समिट, कौशल विकास समेत कई लुभावनी योजनाओं से रघुवर सरकार ने युवाओं को नौकरियां दी. एक दिन में 26 हजार से ज्यादा नौकरियां देकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर लिया. लेकिन जितने लोगों को नौकरियां मिली उनमें से 1 फीसदी युवा भी काम नहीं कर रहे. जिन लोगों को नौकरियां मिली, उनमें से करीब 60 फीसदी एड्रेस और मोबाइल नंबर गलत थे. यानी 60 फीसदी नौकरी मिली ही नहीं. बचे 40 फीसदी में भी महज 25 फीसदी युवाओं ने नौकरी की. क्योंकि नौकरियां झारखंड नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों में दी जा रही थीं.
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8-10 हजार की नौकरियां छोड़ लौट आये युवा
रघुवर सरकार ने जिन कंपनियों के साथ करार किया था. उनमें से 80 फीसदी कंपनियां दूसरे राज्यों से आयी थीं. इनमें चेन्नई, पुणे, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु समेत कई दूसरे राज्यों की कंपनियां शामिल थी. इन कंपनियों ने युवाओं को कई 20-25 हजार की नहीं बल्कि 8-10 हजार की नौकरियां दीं. इतने कम पैसे की नौकरी दूसरे प्रदेश में मिलने से युवाओं का उत्साह खत्म हो गया. जो वहां नौकरी करने गये, वे भी 2-3 महीने में ही नौकरी छोड़कर आ गये. आज वे स्किल्ड युवा या तो बेरोजगार हैं या फिर खेती-बाड़ी के काम में लग गये हैं.
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स्किल डेवलपमेंट की योजना ने भी तोड़ दिया दम
2017 से 19 तक रघुवर सरकार ने स्किल डेवलमेंट के नाम पर कई कंपनियों से करार किया. युवाओं को हुनरमंद बनाकर उन्हें नौकरी देने की योजना थी. कंपनियों ने शुरुआत के 1-2 महीने तो फ्री में ट्रेनिंग दी, लेकिन फिर या तो कंपनियां बंद हो गयीं या फिर युवाओं से स्किल डेवलप करने के एवज में पैसे मांगे जाने लगे. इसके साथ ही राज्य के युवाओं को हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ने का सपना भी दम तोड़ने लगा.
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हेमंत सरकार में है रोजगार से जोड़ने की इच्छाशक्ति
5 लाख सरकारी नौकरी भले ही हेमंत सरकार नहीं पाई. लेकिन कई दूसरी योजनाओं से लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम चल रहा है. दूरदर्शी सोच और प्लानिंग के साथ अगर काम हो तो यह योजनाएं बेरोजगारी का बोझ कम कर सकती है. सरकार की कई योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है. इसके लिए सरकार काम कर रही है.
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हेमंत सरकार की प्रमुख रोजगार योजनाएं
- आजीविका संवर्धन हुनर अभियान– 20 लाख परिवार आजीविका के सशक्त माध्यम से जोड़े गये हैं. इस साल 26 लाख परिवारों को जोडऩे का लक्ष्य है.
- जोहार परियोजना- इस परियोजना में 2 लाख 13 हजार परिवार जोड़े जा चुके हैं. 2 लाख 40 हजार परिवारों को जोड़ने की योजना है.
- फूलो-झानो आशीर्वाद योजना– हेमंत सरकार की यह योजना कारगर साबित हुई. हड़िया दारू बनाने वाली 15,063 महिलाएं इससे जोड़ी गई.
- मनरेगा– पिछले साल सरकार ने 1,150 लाख मानव दिवस का सृजन किया था. इस साल 1,100 मानव दिवस सृजन करने का लक्ष्य है.
- झारखंड आदिवासी सशक्तिकरण एवं आजीविका परियोजना– 14 अनुसूचित जिले के 32 प्रखंडों के 1,229 गांवों में यह योजना चल रही है. 2.11 लाख जानजातीय परिवार इससे लाभान्वित हो रहे हैं.
- मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना– इसके तहत गरीबों को व्यवसाय के लिए सरकार की ओर से सस्ते दर पर कर्ज देने की व्यवस्था की गई है.
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