Ranchi: नगर निगम रांची के नए भवन से कामकाज शुरू होने में अभी समय लग सकता है. पुराने नगर निगम भवन से अभी तक कई विभागों की फाइलें और अन्य जरूरी सामान नए भवन तक नहीं पहुंचे हैं. इससे कार्य बाधित है और लोगों की परेशानी बढ़ रही है. अपने कार्य के लिए लोग पुराने भवन से लेकर नए भवन तक चक्कर लगा रहे हैं.
नगर निगम के नए भवन में महापौर, सचिव, उप महापौर और अन्य अधिकारियों के चेंबर और कमरे दुरुस्त हैं. उसे अब भी सजाया जा रहा है. लेकिन शहर वासियों के लिए काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के कुर्सी और स्थान का कोई ठिकाना तय नहीं है. चेंबर को लेकर अधिकारियों में उहापोह की स्थिति है. कुछ अधिकारियों ने तो इस ऊहापोह से बचने के लिए चेंबर पर कब्जा भी कर लिया है. इसके लिए उन्होंने अपने नाम और पद का प्रिंट आउट स्वयं ही निकाल कर चेंबर के दरवाजे पर चिपका दिया है.
इधर कर्मचारी भी अपनी कुर्सी ढूंढते नजर आ रहे हैं. जिसे जहां कुर्सी मिल रही है वही बैठ जा रहे हैं. इंजीनियरिंग विभाग, बाजार शाखा, स्वास्थ्य विभाग, रेवेन्यू विभाग की फाइलें तो आ गई है. लेकिन वह लाल कपड़ों की गठरी में पड़ी हुई है. जगह निर्धारित नहीं होने के कारण कर्मी उसे खोल नहीं रहे हैं. कंप्यूटर और अन्य उपकरण अभी तक नहीं पहुंचे हैं. इन चीजों को व्यवस्थित करने में और समय लग सकता है. ऐसी स्थिति में आम लोगों का कार्य बाधित होना स्वाभाविक है.
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निगम पार्षदों को भी ढूंढे नहीं मिल रहे अधिकारी
शुक्रवार को नगर निगम पार्षद अरुण कुमार झा भी निगम के नए भवन में विभिन्न विभाग और उनके पदाधिकारी-कर्मचारियों को ढूंढते नजर आए. बात करने पर उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम का क्षेत्र और कार्य का दायरा काफी विस्तृत है. इसे दो-चार दिन में स्थानांतरित करना उतना सरल नहीं है जितना सोचा जा रहा था. वह खुद घूम घूम कर विभाग और पदाधिकारियों के चेंबर का पता लगा रहे हैं. इसलिए लगता है कि कार्य व्यवस्थित होने में कुछ दिन और लग सकते हैं.
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वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर भी नगर निगम कार्यालय परिसर में आम लोगों का आना जारी रहा. इनमें अधिकांश जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए यहां पहुंचे थे. वहीं शहर में कई लोगों को नगर निगम भवन बदले जाने की भी जानकारी नहीं है. पुरानी नगर निगम भवन में प्रमाण पत्र लेने आए सिलवेनिया लकड़ा ने कहा कि उसे नहीं पता था कि नए भवन में प्रमाण पत्र मिलेगा. उन्होंने यहीं पर आवेदन दिया था. भवन बदले जाने की जानकारी उन्हें नहीं मिली है. इसलिए वह पुराने भवन में ही आ गए.
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