Surjit Singh
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में जो हुआ, वह आहत करने वाली घटना है. निंदनीय है. पर यह सब क्यों हुआ. क्या सिर्फ गलती किसानों की है. या दिल्ली पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय भी उतना ही जिम्मेदार है. गृह मंत्रालय हर बार असमंजस की स्थिति में रहता है. एक तरह की चुप्पी और सन्नाटे में. कुछ न कर पाने वाली स्थिति में.
गृह मंत्रालय व दिल्ली पुलिस क्यों अलर्ट नहीं रही. क्यों भीड़ को लाल किला तक पहुंचने दिया. क्यों खुफिया एजेंसियां विफल हो गयीं. इस सवाल का जवाब भी सत्ता को देना ही पड़ेगा. देखा जाये तो गृह मंत्री के रूप में अमित शाह की यह “चौथी बड़ी विफलता” है. अमित शाह देश के सबसे विफल गृह मंत्रियों में शुमार होते जा रहे हैं.
इससे पहले फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे हुए. इनमें एक पुलिसकर्मी समेत कम से कम 17 लोग मारे गये. करोड़ों की संपत्ति फूंक दी गयी. तब तीन दिनों तक दिल्ली में सत्ता का इकबाल नहीं दिखा. 23, 24 और 25 फरवरी 2020 को दिल्ली बेलगाम होती दिखी. दिल्ली में तब जो हुआ, उसके लिए सीएए के विरोधी, सीएए के समर्थक, भाजपा नेता कपिल मिश्रा को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है. लेकिन क्या गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस को क्लीनचीट दी जा सकती है? शायद नहीं. यह गृह मंत्री के रूप में अमित शाह की “तीसरी बड़ी विफलता” थी.
गृह मंत्री के रुप में देश के सामने अमित शाह की “दूसरी बड़ी विफलता” सीएए कानून को लागू कराने के दौरान सामने आयी थी. तब पूर्वोत्तर के राज्यों में इसका भारी विरोध शुरू हुआ था, जो धीरे-धीरे देश भर में फैलता चला गया. सीएए को सरकार ने संसद से पास तो करा लिया, लेकिन उसे सही तरीके से लागू करने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की थी. जिसमें वह विफल रही.
गृह मंत्री के रुप में अमित शाह की “पहली बड़ी विफलता” तब सामने आयी थी, जब दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच संघर्ष हुआ था. कोर्ट परिसर में पुलिस की पिटाई हुई थी. महिला आइपीएस अफसर के साथ मारपीट की गयी थी. उनके हथियार छीन लिये गये थे. उनके सहयोगियों को पीटा गया था. हथियार छीनने के मामले में आज तक पुलिस ने प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की. उस दौरान भी गृह मंत्रालय का निकम्मापन सामने आया था.
अमित शाह जब से गृह मंत्री बने हैं, हर बार आपात स्थिति में यह देखा जाता है कि उनका गृह मंत्रालय प्रतिक्रिया करने में देर करता है. जिस कारण स्थिति बिगड़ती है. क्या यह सब यूं ही हो जा रहा है या इसके पीछे अमित शाह की कोई सोची-समझी रणनीति काम कर रही है. क्या गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण होती है, जिस कारण पुलिस कार्रवाई के दौरान असमंजस की स्थिति में नजर आती है. बात जो भी हो. अगर हर बड़ी घटना के वक्त गृह मंत्रालय इसी कुछ न कर पाने वाली स्थिति में रहेगा, तो इतिहास में अमित शाह का नाम सबसे विफल गृह मंत्री के रूप में दर्ज होगा.