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पहले फेज में 50 बसों को सड़कों पर उतार सकता है नगर विकास विभाग
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पीपीपी मोड पर चलेंगी बसें, स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन करेगा मॉनिटरिंग
Ranchi: स्मार्ट सिटी की स्मार्ट बसें जल्द राजधानी की सड़कों पर दिखेंगी. इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तहत रांची में 200 सिटी बस चलाने की योजना है.इसका डीपीआर तैयार हो चुका है, विभागीय स्तर पर डीपीआर में सुधार चल रहा है. इस महीने के अंत तक डीपीआर मोडिफाइड कर लिया जाएगा. उसके बाद नगर विकास विभाग की ओर से अगले महीने टेंडर निकाला जाएगा.
बसों को पीपीपी मोड पर चलाया जाएगा, लेकिन इसके लिए आने वाले खर्च, बसों का परिचालन और इसकी मॉनिटरिंग स्मार्ट सिटी करेगा. फेयर मैनेजमेंट पॉलिसी के लिए अलग कंपनी को रखा जाएगा, जबकि गैप फंडिंग सरकार करेगी. सबकुछ ठीक रहा तो इसी साल स्मार्ट सिटी की स्मार्ट बसें राजधानी की सड़कों पर दौड़ती दिखेंगी.
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगी बसें
नगर निगम की बसों के अलावा स्मार्ट सिटी की 200 बसें राजधानी के विभिन्न रूटों पर चलेंगी. स्मार्ट सिटी की बसें पूरी तरह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगी. संभव है कि इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाली बसें ही चलायी जाएंगी. नगर विकास विभाग पहले फेज में करीब 50 स्मार्ट बसों को सड़कों पर उतारेगा. उसके बाद धीरे-धीरे सभी बसों को शुरू किया जाएगा. इनमें एसी और नॉन एसी दोनों तरह की बसें शामिल होंगी.
इंदौर मॉडल के आधार पर चलाई जाएंगी बसें
स्मार्ट सिटी की बसों के लिए राजधानी में बस अड्डा और बस स्टॉप चिन्हित करने का काम चल रहा है. रांची स्मार्ट सिटी में इंदौर के तर्ज पर सिटी बसें चलायी जाएंगी. स्मार्ट सिटी की एक टीम ने मध्यप्रदेश के इंदौर शहर का दौरा कर वहां चल रहे सिटी बसों के मॉडल, क्रियान्वयन और संचालन मॉडल और खर्च की जानकारी ली है. उसी के आधार पर डीपीआर तैयार किया गया है.
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स्मार्ट सिटी और नगर निगम की बसों से ट्रैफिक होगा कंट्रोल
नयी बसों के चलने से राजधानी वासियों को ट्रैफिक जाम से काफी हद तक निजात मिलेगी. रांची में हर दिन 30 लाख से ज्यादा लोग आवागमन करते हैं. इनमें से अधिकांश लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर निर्भर हैं, जबकि नगर निगम की सिर्फ 15 मिनी बसें चलायी जा रही है. नगर निगम के पास अपनी 51 बसें हैं. इनमें से 26 को निगम ने 3 साल पहले खरीदा था, बाकी बची 11 बसें 10 साल पुरानी हैं. लॉकडाउन के कारण ज्यादातर बसें रखे-रखे खराब हो गई. इन्हें ठीक कराकर नगर निगम चलाने की तैयारी कर रहा है.
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ऑटो और प्राइवेट गाड़ियों से बढ़ रहा है ट्रैफिक लोड
बसों की संख्या कम होने की वजह से ज्यादातर यात्री पेट्रोल और डीजल ऑटो से रांची में आवागमन करते हैं. राजधानी में 22000 से ज्यादा ऑटो हर दिन विभिन्न रुटों पर चलते हैं. इनका न कोई स्थाई स्टैंड है और न स्थाई स्टॉप. शहर में बेतरतीब तरीके से दौड़े ऑटो आये दिन लगने वाले जाम का प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा हजारों लोग प्राइवेट गाड़ियों से भी आवाजाही करते हैं. छोटी गाड़ियों के कारण शहर का ट्रैफिक लोड काफी बढ़ जाता है.
प्राइवेट हाथों में परिचालन व्यवस्था देने मे कई नुकसान भी
स्मार्ट सिटी की 200 नयी बसें राजधानी को ट्रैफिक जाम से निजात दिला सकते हैं, बशर्ते ये बसें नियमित तौर पर चलायी जायें. पीपीपी मोड पर बसों को चलाने से कई तरह की परेशानियां सरकार को झेलनी पड़ सकती है. रांची नगर निगम भी वर्तमान में ठेके पर बसों का परिचालन करा रहा है. इन बसों के परिचालन में निगम का कंट्रोल सिर्फ कहने भर का है, मर्जी बस चलाने वालों की ही चलती है. यही वजह है कि बसें नियमित रूप से नहीं चल पा रही हैं.