Kiriburu : पश्चिम सिंहभूम के सारंडा जंगल स्थित छोटानागरा पंचायत के विभिन्न गांवों में अज्ञात बीमारी से एक सप्ताह के दौरान तीन मासूम बच्चों की मौत से ग्रामीणों में खौफ बढ़ता जा रहा है. सारंडा के हेंदेबुरु गांव निवासी सह पूर्व जिला परिषद सदस्य बामिया माझी ने लगातार न्यूज को बताया की पिछले कुछ दिनों से विभिन्न गांवों में मलेरिया, बुखार, सर्दी, खांसी का प्रकोप बढा़ हुआ है जिसकी चपेट में दर्जनों ग्रामीण व बच्चे आ चुके हैं. सारंडा क्षेत्र में बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं होने की वजह से पिछले एक सप्ताह के दौरान तीन मासूम बच्चों की मौत उक्त संदिग्ध बीमारी से हो गई. छोटानागरा पंचायत के राकड़बुरु टोला निवासी माटू चाम्पिया की चार वर्षीय बेटी की मौत 27 अक्तूबर को, जोजोपी गांव निवासी भानू चेरोवा की चार वर्षीय बेटी की मौत 31 अक्तूबर को तथा हेंदेबुरु गांव निवासी देवेन सुरीन की दस माह की बेटी की मौत 3 नवंबर को बुखार आदि की वजह से हो गई.
अस्पताल भवन बनाने से क्या होगा, जब उसमें डॉक्टर ही नहीं
बामिया माझी ने बताया कि छोटानागरा में नया अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन बनकर तैयार हो गया है लेकिन आज तक उसे हैंड ओवर नहीं लिया गया तथा कोई सुविधा नहीं है. पुराने व बेहतर चिकित्सक डॉ उत्पल मुर्मू को हटाकर एक नया आयुष चिकित्सक की नियुक्ति कर दी गई है लेकिन वह सप्ताह में दो-तीन दिन ही आते हैं तथा एएनएम के भरोसे ही सारंडा के दर्जनों गांवों की चिकित्सा व्यवस्था चल रही है. यहां लैब अथवा खून आदि जांच की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस कारण ग्रामीण मरीज झोला-छाप डॉक्टर के भरोसे इलाज कराने को मजबूर हैं और अपनी जान गवां रहे हैं. सरकार चाहती तो डीएमएफटी फंड से छोटानागरा अस्पताल में सारंडा के ग्रामीणों के इलाज के लिए बेहतर चिकित्सक व सभी सुविधाएं उपलब्ध करा सकती है. सिर्फ अस्पताल भवन बना देने से मरीजों की समस्या दूर नहीं होगी बल्कि चौबिस घंटे डाक्टरों व सहयोगी स्टाफ व जांच की व्यवस्था करनी होगी. बामिया ने बताया की स्वास्थ्य विभाग जल्द छोटानागरा क्षेत्र में एक टीम भेजकर बीमार लोगों का इलाज कराये एवं इस बात का पता लगाये कि आखिर तीन बच्चों की मौत की वजह क्या थी. और लोग नहीं मरें इसकी व्यवस्था हो.