New Delhi : अमेरिकी स्वास्थ्य संस्थान (NIH) ने कहा है कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा दोनों के खिलाफ कारगर है. कोवैक्सीन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की गयी है. कोवैक्सीन ऐसी एंटीबॉडी पैदा करती है, जो कोरोना के अल्फा और डेल्टा दोनों रूपों को प्रभावी ढंग से बेअसर करता है.
कोवैक्सीन में इस्तेमाल सह औषधि अमेरिका में विकसित हुई
एलआइएच ने कहा है कि कोवैक्सीन लेनेवाले लोगों के खून के दो अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि कोवैक्सीन ऐसी एंटीबॉडी पैदा करता है जो SARS-CoV-2 के बी.1.17 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) वेरिएंट को बेअसर कर देता है. अमेरिका के इस शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान ने कहा कि उसके वित्त पोषण से विकसित एक सह औषधि ने इस अत्यधिक प्रभावकारी कोवैक्सीन ने कोविड-19 के खिलाफ सफलता में बड़ा योगदान दिया है. इस वैक्सीन को भारत और दूसरी जगहों पर लगभग 25 मिलियन लोगों ने लिया है. NIH ने कहा है कि कोवैक्सीन में इस्तेमाल होनेवाली सह औषधि Alhydroxiquim-II को NIAID एडजुवेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत लॉरेंस, कैनसस की बायोटेक कंपनी ViroVax LLC द्वारा प्रयोगशाला में खोजा और परीक्षण किया गया था.
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COVAXIN में SARS-CoV-2 का एक निष्क्रिय रूप भी शामिल
इस सह औधषि में अलहाइड्रोजेल के लिए एक अनोखे तरीके से जुड़ा एक छोटा अणु होता है, जिसे फिटकरी कहा जाता है. यह लोगों के लिए टीकों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सहायक है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (एनआइएआइडी) के निदेशक एंथनी एस फौसी ने कहा कि मुझे खुशी है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में विकसित एक सह औषधि भारत में लोगों के लिए उपलब्ध एक प्रभावशाली वैक्सीन का हिस्सा है. COVAXIN में SARS-CoV-2 का एक निष्क्रिय रूप भी शामिल है, जो खुद को दोहरा नहीं सकता, इसके वाबजूद वह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है. टीके के दूसरे चरण के परीक्षण के प्रकाशित परिणाम बताते हैं कि यह सुरक्षित और सहने योग्य है.