Ranchi: चतरा में एक वक्त उग्रवादी संगठन टीपीसी की तूती बोलती थी. टंडवा स्थित एशिया के सबसे बड़े मगध-आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट और कई अन्य कोल परियोजनाओं से टीपीसी हर महीने लेवी के रूप में मोटी रकम वसूलते थे. लेवी नहीं मिलने पर हत्या और वाहनों में आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम देना उनके लिए आम बात थी. लेकिन वर्तमान में हालात बदल गए हैं. पुलिस और सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और कई बड़े उग्रवादियों की गिरफ्तारी से टीपीसी उग्रवादी संगठन चतरा जिले में कमजोर हो गया है. पुलिस और एनआइए का शिकंजा कसने के बाद चतरा में सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाला टीपीसी अब बैकफुट पर है.
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कई उग्रवादियों की हुई गिरफ्तारी या एनकाउंटर
चतरा पुलिस ने हाल के महीनों मे कई बड़े उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है. उग्रवादी श्रवण उरांव उर्फ हेमंत, रोहित, रामराज रजक, भैरव गंझू, सौरभ गंझू, विकास गंझू, अनिश्चय गंझू और कृष्णा गंझू पर पांच लाख का इनाम घोषित था. वहीं सहेंद्र यादव पर एक लाख का इनाम था. इसके अलावा पुलिस ने ललन राणा, मुन्ना कुमार, प्रवीण कुमार, उमेश भुइयां, रंजीत राणा, ननकु गंझू, आशिक गंझू, अर्जुन गंझू, विनोद गंझू, राजकुमार गंझू, अशोक गंझू, राजेश महतो, जितेंद्र यादव, दीक्षित, आदेश गंझू, गणेश गंझू, नरेश गंझू, अरविंद गंझू, विनोद यादव, विपिन गंझू, पप्पू कुमार, प्रसाद गंझू, विजय गंझू, सोनू भोक्ता, चंद्रशेखर ठाकुर, मिथिलेश राणा, पांडू गंझू, जगरनाथ गंझू, दिलीप कुमार सिंह, अशोक गंझू, नाथो गंझू, किसन गंझू, जितेंद्र मुंडा और राजेंद्र गंझू को धर दबोचा.
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टीपीसी की पकड़ हजारीबाग-चतरा में हुई कमजोर
चतरा और हजारीबाग में भाकपा माओवादी की पकड़ बहुत ज्यादा थी. प्रतिद्वंदी टीपीसी की वजह से भाकपा माओवादी कमजोर हुआ. हाल के कुछ महीनों में टीपीसी के कई बड़े उग्रवादी के पकड़े और सरेंडर किए जाने से संगठन को बड़ा झटका लगा है. साथ ही इस संगठन के कई उग्रवादी पकड़े गये और कई हाल के दिनों में मारे भी गये हैं. इस वजह से टीपीसी की पकड़ हजारीबाग और चतरा में कमजोर हुई है.