- क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्न, दारीसाई, चियांकी व दुमका और विवि मुख्यालय में होगा परीक्षण
Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में मूंग की 26 उन्नत किस्मों के परीक्षण की शुरुआत हुई है. कुलपति डॉ ओएन सिंह की पहल पर आईसीएआर की राष्ट्रीय संस्थान भारतीय दलहन अनुसंधान निदेशालय, कानपुर ने देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकसित मूंग की 26 उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराये हैं. बीएयू के आईसीएआर–एआईसीआरपी खरीफ दलहन परियोजना के अधीन सोमवार को क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, दारीसाई (पूर्वी सिंहभूम) के शोध फार्म में एमएलटी के तहत मूंग की सभी 26 उन्नत किस्मों को बोवाई की गयी. (पढ़ें, पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव परिणाम पर संदेह के बादल, गेंद कलकत्ता हाई कोर्ट के पाले में, 19 जुलाई को सुनवाई)
फसल प्रदर्शन के आधार पर राज्य के उपयुक्त दो-तीन उन्नत किस्मों को की जायेगी अनुशंसित
परियोजना अन्वेंषक डॉ सीएस महतो ने बताया कि परीक्षण में बीएयू द्वारा विकसित दो स्थानीय किस्मों आरएमबी 15-1 और आरएमबी 15-8 को शामिल किया गया है. इसके माध्यम से झारखंड राज्य के विभिन्न कृषि पारिस्थिति के अनुकूल एवं उपयुक्त किस्मों के प्रदर्शन का आकलन किया जायेगा. इसमें फसल अवधि, उपज क्षमता, फसल गुणवत्ता, रोग और कीट के प्रकोप पर विशेष ध्यान होगा. फसल प्रदर्शन के आधार पर राज्य के उपयुक्त दो-तीन उन्नत किस्मों को अनुशंसित की जायेगी. वर्त्तमान खरीफ मौसम में खरीफ दलहन परियोजना के अधीन उरद फसल की कुल 27 किस्मों का विवि मुख्यालय में कोऑर्डिनेटेड ट्रायल के माध्यम से परीक्षण किया जायेगा.
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कृषि विविधिकरण पर जोर दिया जाना जरूरी
कुलपति डॉ ओएन सिंह ने बताया कि बदलते मौसम परिवर्त्तन में बीएयू द्वारा कम अवधि वाली फसलों के अनुसंधान को प्राथमिकता दी जा रही है. इसमें करीब 65-68 दिनों की अवधि वाली दलहनी फसल मूंग की खेती का राज्य के ऊपरी (टांड़ -1) भूमि में काफी संभावना है. राज्य में प्रचलित वर्षा आधारित खेती, विषम मौसम की परिस्थिति और वर्षापात की असमानता को देखते हुए कृषि विविधिकरण पर जोर दिया जाना जरूरी है. वर्त्तमान खरीफ मौसम में उन्नत किस्मों का मल्टीलोकेशनल ट्रायल (एमएलटी) के माध्यम से बीएयू के निदेशालय अनुसंधान अधीन कार्यरत तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों, दारीसाई (पूर्वी सिंहभूम), चियांकी (पलामू) व दुमका और विवि मुख्यालय में परीक्षण शुरू किया गया है. बता दें कि रांची, बोकारो, गुमला, पलामू एवं गढ़वा में मूंग की खेती की जाती है.
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