Ranchi: रांची मास्टर प्लान 2037 के खिलाफ विभिन्न आदिवासी संगठन सड़क पर उतर आये हैं. आदिवासी संगठन मोरहाबादी से जुलूस के शक्ल में पैदल मार्च करते हुए रांची नगर निगम पहुंचे और वहां प्रदर्शन किया. आदिवासी संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल अपर निगम आयुक्त से मुलाकात की और अपनी मांगें रखी. प्रदर्शनकारियों ने झारखंड म्यूनिसिपैलिटी एक्ट 2011 को गैरकानूनी बताते हुए रांची मास्टर प्लान 2037 को रद्द करने की मांग की.
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संस्कृति नष्ट करने की साजिश: आदिवासी संगठन
आदिवासी संगठनों का कहना है संविधान की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के तहत जहां शहरी निकाय की व्यवस्था लागू करने के लिए संसद में अब तक कानून नहीं बनाया गया है. सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने के लिए कानून बनाया गया है. इसलिए नगर निगम सहित अनुसूचित क्षेत्र के सभी नगर निकाय अवैध एवं असंवैधानिक है. रांची जिला के पेशा कानून से संचालित ग्रामीण क्षेत्रों को रांची नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव है. पांचवी अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की सहमति के बगैर भूमि अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है. लेकिन अभी रांची नगर निगम के आसपास के नगडी, रांची, कांके, ओरमांझी, अनगड़ा प्रखंड के विभिन्न मौजा के ग्राम सभा की सहमति ली जा रही है कि विकास के नाम पर आदिवासियों को भूमि से उजाड़कर बाहरी आबादी बसाने और यहां के सामुदायिक संस्कृति को नष्ट करने की साजिश रची जा रही है. ऐसे उदाहरण पहले भी देखा जा चुका है. रांची के गांव- बस्ती अरगोडा, हिनू, लालपुर गोंदा, डिबहीह, कडरू, सिरोमटोली आदि अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.
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सरकार लेगी अंतिम निर्णय: अपर नगर आयुक्त
इस बाबत रांची नगर निगम के अपर नगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन ने कहा कि रांची मास्टर प्लान 2037 का योजना 2016 में बनाकर तैयार की गई है. इस प्लान के तहत जो लोग भी आपत्ति दर्ज करा रहे है. उन सभी का आवेदन निगम ले रही है. आवेदन 16 जनवरी 2023 तक लेगी. जैसे-जैसे आपत्ति आएगा सरकार के पास भेजा जायेगा. अंतिम निर्णय सरकार लेगी.