Ranchi : सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों के उद्योग जगत में पीछे रहने पर काफी चिंता जतायी है. उन्होंने कहा कि राज्य में 27 प्रतिशत आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं. लेकिन व्यापार या उद्योग के क्षेत्र में इनकी सहभागिता मात्र 2.5 प्रतिशत है. जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 31 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है, वहां भी आदिवासियों की सहभागिता मात्र 2 प्रतिशत है. वहीं नार्थ ईस्ट में आदिवासियों और अनुसूचित जनजाति के लोग झारखंड के समतुल्य निवास करते हैं, और व्यापार के क्षेत्र में उनकी सहभागिता 9 प्रतिशत है. इसकी वजह क्या है.
मुख्यमंत्री ने इसपर सीआईआई में विचार करने की बात कहीं है. ये बातें सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड सीआईआई द्वारा आयोजित चौथे ट्राइबल डेवलपमेंट मीट में कहीं. मुख्यमंत्री “उद्योग में आदिवासी समाज की भूमिका” विषय पर बोल रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग क्षेत्र में आदिवासी समाज को कैसे अधिक से अधिक मौका मिले, इसके लिए हमें मिलकर कार्य करना होगा.
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जरूरी सहयोग और मार्गदर्शन नहीं मिला और वे व्यापारिक क्षेत्रों में आगे नहीं बढ़ पाए
सीएम हेमंत ने कहा कि झारखंड एक खनिज बहुल इलाका वाला राज्य है. फिर भी आदिवासी समाज राज्य में काफी पिछड़े हुए है. ऐसे में यह जरूरी है कि खनन क्षेत्र में इन सहभागिता पर विचार किया जाए. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार भी इसकी समीक्षा कर कमी को पाटने का कार्य करेगी. पूर्व में झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों को जरूरी सहयोग और मार्गदर्शन नहीं मिला और वे व्यापारिक क्षेत्रों में आगे नहीं बढ़ पाए. लेकिन वर्तमान में राज्य के आदिवासियों और स्थानीय लोगों के विकास पर सरकार का ध्यान केंद्रीत है.
कई योजनाएं लागू हुईं और अन्य कई पाइपलाइन में हैं. अचानक आयी महामारी ने सरकार की प्राथमिकताओं को कुछ हद तक जरूर बदल दिया, लेकिन आदिवासी और पिछड़े समाज का उत्थान हमारी सोच के केंद्र में है, राज्य सरकार सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए वंचित आदिवासी समाज के लोगों को व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में अवसर प्रदान कर लाभान्वित करने की योजना बना रही है.
अगर हम सभी अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो देश और राज्य के आदिवासी अवश्य उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करेंगे.
खनिज क्षेत्र के अतिरिक्त भी उद्योग को मिले बढ़ावा
सीएम ने कहा कि झारखंड के अधिकांश उद्योग खनिज पर आधारित हैं. पर्यटन, संस्कृति, कृषि और खेल के क्षेत्र में आजतक किसी ने मंथन नहीं किया. जबकि इन क्षेत्रों में असीम संभावनाएं हैं.
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राज्य में खेल से संबंधित उद्योग नहीं है. हॉकी और फुटबॉल के उद्योग लगाए जा सकते हैं. राज्य सरकार ने उद्योग विभाग को इन क्षेत्रों में उद्योग लगाने का निर्देश दिया है. झारखंड की 75% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और करीब 90% आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. झारखंड लाह, तसर, इमली समेत अन्य वनोपज उत्पादन के मामले में देश में अग्रणी स्थान रखता है. लेकिन इस इन सब को प्रमोट करने की दिशा में कार्य पूर्व में नहीं किया गया.
स्टेकहोल्डर्स को भी शेयर प्राप्त हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन एवं अन्य क्षेत्र में उद्योग लगाए जाते, इससे विस्थापित लोगों को मुआवजा राशि दी जाती है. यह राशि एक समय के बाद समाप्त हो जाती है, और विस्थापित पुनः उसी स्थिति में आ जाते हैं. उनका मानना है कि अगर उद्योग लगे तो स्टेकहोल्डर को भी उद्योग में शेयर मिले, जिससे उनका भी सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके.