कैसे मिटे भूख, बढ़ने वाली है खाद्य सामानों की कीमत
Surjeet Singh
Sunday Special/ Ranchi:
– बीते 16 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर माह में दालों की थोक महंगाई दर बढ़ कर 19.4 फीसद दर्ज की गई. सितंबर में यह आंकड़ा 17.7 प्रतिशत था.
– 17 नवंबर तक देख में सिर्फ 65.16 लाख हेक्टेयर भूमि में दलहन की बुआई हुई. जबकि पिछले साल इसी दौरान 69.37 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई की जा चुकी थी.
– तेलहन की बुआई भी 17 नवंबर तक 71.74 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस तारीख तक 73.17 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई हो चुकी थी.
– 15 नवंबर तक चावल की सरकारी खरीद 161.13 लाख टन हुई. यह पिछले साल से 4.4 प्रतिशत कम है. पिछले साल 15 नवंबर तक चावल की सरकारी खरीद 168.75 लाख टन थी.
– कम बारिश होने की वजह से खेती के लिए उपलब्ध पानी में बड़ी कमी दर्ज की गई है.
– मॉनसून में देरी और अनियमित बारिश के कारण इस बार खरीफ की फसलों में बड़ी कमी दर्ज की गई है.
– कम बारिश होने और अक्टूबर नवंबर में गर्मी के कारण रबी की फसल लगाने में किसानों को इंतजार करना पड़ा है.
– मलेशिया और इंडोनेशिया पाम आयल के सबसे बड़े उत्पादक व निर्यातक हैं. भारत में खाने के तेल की कुल खपत का 65 प्रतिशत आयात किया जाता है. इसमें करीब 50 प्रतिशत पाम आयल ही होता है.
ऊपर के तथ्य और आंकड़े साफ कह रहे हैं कि आने वाले महीनों में खाद्य सामानों की महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली. उल्टे आंकड़े व तथ्य ये बता रहे हैं कि आफत बढ़ने वाली है. महंगाई तेज होने वाली है और खाने के समानों की कीमत में आग लगने वाली है. तमाम परिस्थितियां यही बता रहे हैं. यह खबर मिडिल क्लास के लिए कमर तोड़ने वाली है. क्योंकि गरीबों को सरकार देगी और अमीरों को फर्क नहीं पड़ता.
आंकड़ों के मुताबिक चावल, मूंग, उड़द, सोयाबीन, चीनी, मकई, मूंगफली की कीमत पहले से बढ़ी हुई है. ऊपर से इस साल इसकी उपज में बड़ी कमी दर्ज की गई है. उपज में कमी की वजह से इनकी कीमतों में बढ़ोतरी तय है. इससे भी बड़ी बात यह है कि खाद्य सामानों की महंगाई पर नियंत्रित करना सरकार के लिए मुश्किल होने वाला है.
आंकड़े के मुताबिक सरकार ने फसलों की जो कीमत तय की है, वह बाजार की कीमत से कम है. यही कारण है कि किसान सरकारी गोदाम में अनाज बेचने के बदले बाजार को बेच रहे हैं. अनाजों की सरकारी खरीद में कमी दर्ज की गई है. उल्लेखनीय है कि सरकार के पास जब किसी अनाज का पर्याप्त भंडार होता है, तब वह उसे कम कीमत में बाजार में बेच कर महंगाई को नियंत्रित करती है. लेकिन जब अनाज की खरीद ही कम होगी, तो सरकार के पास महंगाई पर नियंत्रण के विकल्प भी कम होंगे.
एक तथ्य यह है कि खरीफ की पैदावार कम हुई हैं, तो दूसरा तथ्य यह है कि रबी की फसल, यानी गेहूं और तेलहन की फसल भी कमजोर होने का अंदेशा है. 15 नवंबर को जारी रिपोर्ट से यही स्पष्ट होता है कि गेहूं और तेलहन की बुआई में कमी आयी है. इसका असर बाजार में गेहूं और खाने की तेल की कीमत पर होना तय है. एक और तथ्य यह कि दुनिया भर में सबसे अधिक खाद्य तेल का उत्पादन व निर्यात करने वाला देश मलेशिया व इंडोनेशिया में मौसम की वजह से फसल कमजोर होने का अनुमान है.
अनाज का नाम वर्तमान कीमत
चावल 32 रु किलो
मूंग 96.72 रु किलो
उड़द 94.24 रु किलो
सोयाबीन 47.17 रु किलो
चीनी 40.77 रु किलो
कपास 69 रु किलो
मकई 21.47 रु किलो
मूंगफली 64.84 रु किलो
नोटः ये कीमत 24 नवंबर को गुलबर्गा मार्केट की है.
खरीफ की फसल में कमी
चावल 3.79 प्रतिशत
मूंग 18.3 प्रतिशत
उड़द 14.77 प्रतिशत
सोयाबीन 23.10 प्रतिशत
ईख (गन्ना) 11.36 प्रतिशत
कपास 5.97 प्रतिशत
मकई 5.03 प्रतिशत
मूंगफली 8.64 प्रतिशत
सरकारी कीमत से अधिक बाजार मूल्य
अनाज सरकारी कीमत बाजार मूल्य
मकई 2090 रु 2400 रु
धान 2203 रु 2400 रु
सोयाबीन 4600 रु 5000 रु
अरहर 7000 रु 10049 रु
नोटः कीमत प्रति क्विंटल है.